Saturday, May 6, 2017

पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत ने सात देशों का संयुक्त सेटेलाइट किया लांच

इसरो ने शुक्रवार को श्रीहरिकोटा से दक्षिण एशिया संचार उपग्रह जीसैट-9 को दोपहर बाद 4 बजकर 57 मिनट पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया। 450 करोड़ रुपए की लागत से इस संचार उपग्रह को इसरो ने पौने तीन साल की
मेहनत के बाद तैयार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अप्रैल को 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा था कि दक्षिण एशिया उपग्रह अपने पड़ोसी देशों को भारत की तरफ से कीमती उपहार होगा। उपग्रह को इसरो के जीएसएलवी-एफ9 रॉकेट से छोड़ा गया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 
जीसैट-9 भारत के पड़ोसी देशों के बीच संचार में मददगार होगा। इस उपग्रह की कीमत 235 करोड़ रुपए है, जबकि पूरी परियोजना पर 450 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। यह उपग्रह 12 साल तक सूचनाएं उपलब्ध कराएगा। यह उपग्रह अंतरिक्ष आधारित प्रौद्योगिकी जी के बेहतर इस्तेमाल में मदद करेगा। इस उपग्रह में 12 कू-बैंड के ट्रांसपांडर लगे होंगे। आठ दक्षेस देशों में से सात देश इस परियोजना का हिस्सा हैं। दक्षेस देश में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और भूटान शामिल हैं। बता दें कि पाकिस्तान ने यह कहते हुए इससे बाहर रहने का फैसला किया कि उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपग्रह लॉन्चिंग के बाद इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने दूसरे देशों के प्रमुखों से भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बात की। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय सहयोग की बात करें तो आकाश भी सीमा नहीं रह गया है। सहयोग के नए दरवाजे खुले हैं। मई 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से सार्क उपग्रह बनाने का आग्रह किया था, जो पड़ोसी देशों को 'भारत की ओर से उपहार' के तौर पर दिया जा सके। 
पाकिस्तानने 'दक्षेस उपग्रह' परियोजना से अलग होने के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया है। पाकिस्तानी विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा, '18वें सार्क सम्मेलन में भारत ने साफ कर दिया था कि वह खुद ही इसे बनाएगा, लॉन्च और संचालित करेगा। चूंकि, भारत सहयोगी अाधार पर इसे तैयार करने पर राजी नहीं था, इसलिए पाकिस्तान के लिए साथ जुड़ना मुश्किल था।' 
नेपाल, बांग्लादेश के पास अपना कोई उपग्रह नहीं है 
सार्क के आठ सदस्य देशों में भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के पास अपने-अपने उपग्रह हैं। भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम आत्मनिर्भर है, वहीं पाकिस्तान और श्रीलंका ने चीन की मदद के अपने-अपने उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं। अफगानिस्तान के पास यूरोपीय स्पेस एजेंसी से खरीदा गया एक संचार उपग्रह है। वहीं नेपाल और बांग्लादेश के पास अपना कोई उपग्रह नहीं है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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