Tuesday, May 2, 2017

भारत की तुर्की को दो टूक; कश्मीर सहित सभी मुद्दे आपस में सुलझा लेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तुर्की के राष्ट्रपति तैयिप एर्दोगन ने सोमवार को दोनों देशों के रिश्तों की समीक्षा की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा आतंकवाद फैलाने और आतंकियों को शरण देने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का समय गया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से
पढ़ रहे हैं। भारत ने तुर्की को साफ कर दिया कि कश्मीर सहित सभी मामले भारत और पाकिस्तान आपस में ही सुलझाएंगे किसी अन्य की मध्यस्थता से नहीं। एर्दोगन ने रविवार को कहा था कि कश्मीर मुद्दा बहुपक्षीय वार्ता के जरिये सुलझा लिया जाना चाहिए। एर्दोगन को पाकिस्तान का पक्षधर माना जाता है। तुर्की इस्लामी सहयोग परिषद (ओआईसी) का भी सदस्य है जो कश्मीर मामले पर पाकिस्तान के साथ है। 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि भारत ने एर्दोगन से साफ कह दिया है कि कश्मीर समस्या मूल रूप से सीमा पार आतंकवाद से जुड़ा मुद्दा है। भारत कश्मीर सहित सभी मुद्दे द्विपक्षीय आधार पर हल करने को तैयार है। नई दिल्ली आने से पहले एक टीवी चैनल को इंटरव्यू में एर्दोगन ने कहा था,'हम कश्मीर में और ज्यादा मौतें नहीं होने देना चाहते। बहुपक्षीय वार्ता के जरिये इस मुद्दे को हमेशा के लिए सुलझा लिया जाना चाहिए। हम उस वार्ता में शामिल होने को तैयार हैं।' एर्दोगन को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का करीबी माना जाता है। 
दूसरी ओर, भारत-तुर्की के कारोबारियों की बैठक में दोनों देशों के नेताओं ने एक-दूसरे देश के कारोबारियों को अपने यहां निवेश का निमंत्रण दिया। तुर्की से आए कारोबारियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भारत में कभी भी निवेश का माहौल इतना बढ़िया नहीं था जितना आज है। उन्होंने तुर्की की कंपनियों को बुनियादी ढांचे, ऊर्जा पर्यटन के क्षेत्र में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। 
तुर्की के राष्ट्रपति तैयिप एर्दोगन के साथ भारत-तुर्की कारोबार समिट में मोदी ने अपनी सरकार की नीतियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 2022 तक पांच लाख मकान बनाने, 50 शहरों में मेट्रो शुरू करने, विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़ाने का उल्लेख किया। उन्होंने बताया सरकार ने विदेशी निवेश की नीतियों को भी सरल बनाया है। 
2008 में एर्दोगन की भारत यात्रा के समय दोनों देशों के बीच कारोबार 2.8 अरब डॉलर था जो 2016 में बढ़ कर 6.4 अरब डॉलर हो गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने ट्वीट कर जानकारी दी कि भारत तुर्की के नेताओं ने कई मुद्दों पर बातचीत की। इनमें एनएसजी में भारत की सदस्यता, क्षेत्रीय सुरक्षा आदि भी शामिल हैं। एर्दोगन ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसा हुआ तो दोनों देशों के रिश्ते और गहरे हो सकते हैं। उन्होंने परमाणु ऊर्जा और विमानन क्षेत्र में भी संबंध बेहतर बनाने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने भारतीय कंपनियों से तुर्की में निवेश का आग्रह किया। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी), प्रशिक्षण तथा संस्कृति के क्षेत्र में तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
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साभार: भास्कर समाचार 
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