यह लड़के-लड़की के रिश्ते के लिए होने वाली आम मुलाकात जैसी ही मुलाकात थी, जिसमें लड़का अपने आधा दर्जन रिश्तेदारों के साथ लड़की और उसके परिवार से मिलता है। उसके बनाए स्वादिष्ट व्यंजन खाता है, फिर
उससे उसकी पढ़ाई, ज्ञान के बारे में सवाल करता है। अगर लड़की सिंगर हो तो गाना सुनाने को भी कहता है। फिर भावी सास उससे पाक कला के बारे में पूछती है, जबकि बेटा यानी संभावित दूल्हा नजरें झुकाए कनखियों से उसे देखता रहता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। परिवारों के मुखिया मिलते हैं और लेन-देन के बारे में बात करते हैं। यह आमतौर पर पुरुष सदस्यों के बीच गुप्त बातचीत होती है। इसी तरह की कई छोटी-बड़ी परम्पराओं को हम कई दशकों से देख रहे हैं। यह कोई छिपी बात नहीं है कि इस तरह की परम्पराओं में लड़के का पक्ष हमेशा हावी होने की कोशिश करता है और अपनी बात मनवाने की कोशिश करता है, जबकि लड़की का पक्ष विनम्र बना रहता है, 'हम लड़की वाले हैं' की पुरानी मान्यता के कारण है! इसी तरह का प्रयास हाल ही में लखनऊ में एक लड़के के परिवार को काफी भारी पड़ गया। सब कुछ अच्छा हो रहा था और माहौल सुखद था। दोनों परिवार सहमति पर भी पहुंच गए थे लेकिन, यह तभी तक रहा जब तक संभावित दूल्हे ने अपनी भावी पत्नी की भाषाई समझ को परखने की कोशिश नहीं की थी। उसे लगा था कि मैं ज्यादा पढ़ा-लिखा हूं, जबकि वह सिर्फ पांचवी पास है।
उसने पिता के सामने नज़रों से विरोध किया और उन्होंने नज़रों से ही कहा- बेटा शांत रहो। फर्रुखाबाद के लड़के ने लड़की के हाथ में डायरी और पेन दे दिया और पूरे परिवार के सामने उससे नाम, पता और कुछ वाक्य हिन्दी में लिखने का कहा। सौभाग्य से लड़की ने वह सब लिख दिया और लड़के ने बातचीत आगे बढ़ाने की इजाजत दे दी। लेकिन, लड़की को लड़के का बर्ताव थोड़ा अपमानजनक लगा और बहुत सतही भी। लड़की के भीतर कुछ तो उबल रहा था। जब बातचीत आगे बढ़ रही थी, तो उसने हिम्मत जुटाई और डायरी लड़के को थमाते हुए कुछ हिन्दी के शब्द जैसे दृष्टिकोण, परिश्रम, साम्प्रदायिक लिखने को कहा। लड़के ने वर्तनी की कई गलतियां कीं। फिर उसने कहा कि इंटरमीडिएट हो फिर भी ये शब्द मुश्किल लगे तो अपना नाम और पता हिन्दी में लिख दो। दूल्हे ने मुस्कुराहट के साथ इसे स्वीकार कर लिया और लिख दिया। किंतु, वह नहीं जानता था कि इसमें भी वर्तनी की गलतियां हैं, जो लड़की के ध्यान में गईं। फिर उसने कहा कि वह ऐसे व्यक्ति से शादी नहीं करना चाहती, जो दूसरों को उस काम में परखना चाहता हो जो वो खुद करना नहीं जानता। यह सिर्फ पुरुष के प्रभुत्व दिखाने का तरीका है, ताकि लड़की के परिवार को लड़के के परिवार के सामने बड़ा दिखाया जा सके।
रिश्तेदारों की समझाइश का लड़की पर कोई असर नहीं हुआ और लड़का अपनी श्रेष्ठता साबित करने की इच्छा के साथ बेरंग लौट गया। इस दौर में जब सोशल नेटवर्किंग साइट आपको अपनी बात बिना किसी रोक-टोक के रखने की इतनी आजादी देती है, अपने शब्दों और ज्ञान से दूसरों को नीचा दिखाना एक सामाजिक बुराई जैसा बन गया है। किसी के साथ संबंध बनाना दो मिनट में नूडल बनाने जैसा नहीं है। एक-दूसरे को सम्मान देकर ही दो लोगों में संबंध बढ़ते हैं, साझा होते हैं, अनुभव किए जाते हैं और समय के साथ ये लगाव में बदलते हैं। इस नाजुक धागे को किसी मूर्खतापूर्ण आजमाइश में नहीं डालना चाहिए, वह भी दुनिया के सामने कुछ बात साबित करने की मंशा से।
रिश्तेदारों की समझाइश का लड़की पर कोई असर नहीं हुआ और लड़का अपनी श्रेष्ठता साबित करने की इच्छा के साथ बेरंग लौट गया। इस दौर में जब सोशल नेटवर्किंग साइट आपको अपनी बात बिना किसी रोक-टोक के रखने की इतनी आजादी देती है, अपने शब्दों और ज्ञान से दूसरों को नीचा दिखाना एक सामाजिक बुराई जैसा बन गया है। किसी के साथ संबंध बनाना दो मिनट में नूडल बनाने जैसा नहीं है। एक-दूसरे को सम्मान देकर ही दो लोगों में संबंध बढ़ते हैं, साझा होते हैं, अनुभव किए जाते हैं और समय के साथ ये लगाव में बदलते हैं। इस नाजुक धागे को किसी मूर्खतापूर्ण आजमाइश में नहीं डालना चाहिए, वह भी दुनिया के सामने कुछ बात साबित करने की मंशा से।
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साभार: भास्कर समाचार
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