अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मंच पर भारत को मंगलवार को बड़ी कामयाबी मिली। नीदरलैंड्स के हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगा दी है।
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी को पाक सैन्य अदालत ने जासूस बताकर 10 अप्रैल को मौत की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने पाक सरकार से आदेश पर अमल की रिपोर्ट भी मांगी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हालांकि, फैसले पर पाक ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने देर रात ट्वीट कर फैसले के बारे में बताया। कानून के जानकारों का कहना है कि पाक इंटरनेशनल कोर्ट का फैसला मानने के लिए बाध्य नहीं है। हालांकि, फैसला मानने पर वह इस अंतरराष्ट्रीय न्यायिक मंच पर अलग-थलग पड़ जाएगा। वहकिसी मामले में शिकायत लेकर पहुंचा तो उसकी सुनवाई नहीं होगी।
कोर्टने पाकिस्तान को दिए यह तीन निर्देश:
1. सरकार सभी जरूरी कदम उठाकर सुनिश्चित करे कि जाधव को फांसी हो।
2. फांसी पर अमल रोकने के लिए सरकार जो भी कदम उठाए, उसकी जानकारी हमें दे।
3. ऐसा कोई भी कदम उठाएं, जो भारत या जाधव के अधिकारों का हनन करे।
भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट से मांगी थी यह चार राहत:
1. कुलभूषण की फांसी की सजा तत्काल निलंबित की जाए।
2. सैन्य अदालत द्वारा सुनाई फांसी की सजा को अंतरराष्ट्रीय कानून और वियना समझौते का उल्लंघन घोषित करें।
3. फांसी की सजा पर अमल से पाकिस्तान को रोकें। साथ ही सैन्य अदालत द्वारा सुनाई सजा को पाकिस्तानी कानून के तहत ही रद्द करवाएं।
4. अगर पाकिस्तान सजा रद्द नहीं करता है, तो इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों का उल्लंघन घोषित करें। सजा पर किसी भी तरीके से अमल रोकें। साथ ही भारतीय नागरिक की रिहाई का आदेश दें।
भारत की दलील - राजनयिक मुलाकात के बदले रखी जांच में मदद की शर्त, यह वियना समझौते के खिलाफ:
भारत ने बताया कि रिटायर्ड नौसेना अधिकारी जाधव ईरान में कारोबार करते थे। पाक ने उन्हें ईरान से अगवा करवा लिया। बाद में भारतीय जासूस बताते हुए 3 मार्च, 2016 को बलूचिस्तान से गिरफ्तारी दिखाई। भारत को 25 मार्च को बताया। बार-बार आग्रह के भी राजनयिक मुलाकात की इजाजत नहीं दी। बाद में कहा कि पाक में जासूसी और आतंकी गतिविधियों के मामले में जाधव के खिलाफ जांच में मदद करें तो राजनयिक मुलाकात पर विचार कर सकते हैं। राजनयिक मुलाकात के बदले जांच में मदद की शर्त रखना वियना समझौते का उल्लंघन है।
8 मई को भारत ने दायर की थी याचिका, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने की पैरवी: इंटरनेशनल कोर्ट में भारत की तरफ से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने 8 मई को याचिका दायर की थी। उन्होंने मांग की कि भारत के पक्ष की मेरिट जांचने से पहले जाधव की फांसी पर रोक लगाएं। ऐसा हो कि पाकिस्तान जाधव की सजा पर अमल कर दे और भारत जाधव के अधिकारों का बचाव कर पाए।
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साभार: भास्कर समाचार
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