हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड दसवीं की बोर्ड परीक्षाओं में पुरानी रि-अपीयर नीति को फिर से लागू करने पर विचार कर रहा है। साल 2017-18 की परीक्षाओं के लिए इस पर विचार किया जाएगा। कक्षा दसवीं में बोर्ड पुरानी नीति को फिर से लागू कर सकता है। मौजूदा समय में दसवीं कक्षा में एक विषय में परीक्षार्थी के फेल होने पर रि
अपीयर माना जाता है, जबकि पहले दो विषयों में फेल होने पर परीक्षार्थी को रि अपीयर घोषित कर दोबारा से परीक्षा देने का मौका दिया जाता था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। एक अतिरिक्त विषय में फेल होने पर उसे पास कर दिया जाता था। कुछ समय पहले ही बोर्ड ने कक्षा दसवीं में नीति में बदलाव किया था, जिसमें कोई परीक्षार्थी एक विषय में फेल हो जाता है तो उसे रि अपीयर माना जाता है। तय समय में परीक्षा पास होने पर उसे फिर से दसवीं में दाखिला लेना पड़ता है।
12वीं में एक ही विषय में रहेगा रि-अपीयर का सिस्टम: मौजूदा समय में हरियाणा शिक्षा विद्यालय बोर्ड 10वीं 12वीं की बोर्ड की परीक्षाएं ले रहा है, जबकि आठवीं का बोर्ड कई साल पहले खत्म किया जा चुका है। इसलिए आठवीं में बोर्ड की परीक्षाएं नहीं ली जाती। बोर्ड द्वारा बनाई गई नई नीति के तहत यदि कोई परीक्षार्थी 10वीं कक्षा में एक पेपर में फेल हो जाता है तो उसे कंपार्टमेंट घोषित कर फिर से परीक्षा देने का मौका दिया जाता है। दो या दो से ज्यादा पेपर या विषय में फेल होने पर उसे फेल घोषित कर दिया जाता है, जबकि पहले कोई परीक्षार्थी दो विषयों में फेल होता था तो उसे कंपार्टमेंट घोषित करते हुए फिर से परीक्षा का मौका दिया जाता था। इसके लिए उसे तीन चांस मिलते थे। परीक्षार्थी फिर से कंपार्टमेंट के फार्म भरकर दसवीं कक्षा को पास कर लेता था। यदि कोई परीक्षार्थी एक विषय में फेल होता था तो उसे गणित साइंस विषय की छूट देकर पास कर दिया जाता था, लेकिन बोर्ड साल 2017 18 के सत्र के लिए दो विषयों की नीति को लागू करने पर विचार कर रहा है, ताकि दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों को छूट का फायदा दिया जा सके। वहीं 12वीं कक्षा में एक विषय की नीति ज्यों की त्यों जारी रहेगी। कक्षा 12वीं में यदि कोई परीक्षार्थी एक विषय में फेल होता तो उसे फिर से एक विषय का पेपर देने का मौका दिया जाएगा। इससे ज्यादा विषयों में फेल होने पर फेल ही माना जाएगा। प्रदेश में आठवीं कक्षा की परीक्षाएं बोर्ड द्वारा लेने पर भी विचार चल रहा है। हालांकि मार्च में शुरू होने वाली परीक्षाएं पुरानी नीति के तहत ही होंगी। अगले साल 2017 18 से इसे लागू किया जा सकता है। इसको लेकर विधान सभा में पास किया जाना है।
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साभार: भास्कर समाचार
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