हरियाणा के प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) की रिपोर्ट में सरकारी विभागों में कई वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। कहीं सरकार ने राजस्व की उचित वसूली नहीं की तो कहीं उचित भुगतान नहीं किए गए जिससे खजाने को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। कई योजनाओं के क्रियान्वयन में गंभीर खामियां पाई गई हैं। सरकारी विभागों की यह ऑडिट रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर
रख दी गई है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। प्रदेश की प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) महुआ पाल ने संवाददाता सम्मेलन में राज्य के सरकारी विभागों की अनियमितताओं को उजागर किया। वर्ष 2015-16 की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान कुल 47,556 करोड़ की राजस्व प्राप्तियां हुईं जो 2014-15 की तुलना में 6757 करोड़ रुपये अधिक है। इसके बावजूद बिक्री कर, वैट, स्टांप शुल्क तथा पंजीकरण फीस, उत्पाद शुल्क, माल एवं यात्रियों पर कर सहित अन्य कई तरह के करों की वसूली में अनियमितताओं के कारण 2865 करोड़ की राजस्व वसूली नहीं हो पाई।
भू-राजस्व विभाग में बकाया राशि पिछले तीन साल में 112 फीसद बढ़कर 8076 करोड़ हो गई है। उत्पाद शुल्क के 60.56 करोड़, स्टांप शुल्क के 42.33 करोड़, वाहनों, माल एवं यात्रियों पर कर के 12.13 करोड़ रुपये वसूल नहीं किए जा सके।
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साभार: भास्कर समाचार
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