Saturday, March 11, 2017

डॉक्टर्स ने कहा था ऑर्गन्स डोनेट कर दो; पर रोज स्कूल से पहले हॉस्पिटल जाकर कोमा में पड़ी मां को संवारती रही बच्ची, 7 साल बाद होश में आई मां

7 साल की मेरिजा रोज सुबह स्कूल ड्रेस पहनकर तैयार होती है। स्कूल बैग लेकर घर से निकलती है। लेकिन वो स्कूल से पहले हॉस्पिटल जाती है। वहां एक कमरे में बिस्तर पर पड़ी महिला केे बालों में कंघी करती है। क्रीम, लिपस्टिक, नेल-पेंट लगाकर उसे सजाती है। फिर कहती है, 'अब आप सुंदर लग रहे हो, बिल्कुल मेरी तरह।' महिला को संवारने के बाद ही वो स्कूल जाती है। छुट्‌टी होते ही वापस हॉस्पिटल आती है। महिला के पास
बैठ लंच, होमवर्क करती है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। रात में सोने के लिए घर जाती है। दो साल से ऐसा ही चल रहा है। दरअसल, ये महिला मेरिजा की मां, डेनिजेला है। 2009 में मेरिजा को जन्म देते ही वह कोमा में चली गई थीं। इससे अंजान कि वो मां बन चुकी हैं। दो महीने पहले उन्हें होश आया है। सबसे पहले मेरिजा उनके सामने गई। मां का हाथ थाम कर बोली, 'मेरा नाम मेरिजा है। मैं आपकी बेटी हूं। आप बीमार थीं। हमेशा सोई रहती थीं। इसलिए आपको नहीं पता, लेकिन मैं रोज यहां आपसे मिलने आती थी। इंतजार करती थी कि आप जागेंगी और मैं आपको घर ले चलूंगी।' मेरिजा शुरू से अपने नाना जॉर्ज के साथ रही। जॉर्ज अक्सर मेरिजा को उसकी मां से मिलवाने हॉस्पिटल ले जाया करते। चार साल तक कोमा में रहने के बाद डॉक्टर्स ने डेनिजेला के ठीक होने की उम्मीद छोड़ दी थी। उन्होंने जॉर्ज से कहा कि डेनिजेला के ऑर्गन्स डोनेट कर दें। लेकिन जॉर्ज ने ये कह कर मना कर दिया कि मेरिजा को पूरी उम्मीद है कि उसकी मां ठीक हो जाएगी। जॉर्ज बताते हैं, 'बीते दो साल में शायद ही कोई ऐसा दिन होगा, जब ये बच्ची अपनी मां से मिलने नहीं गई। कई बार स्कूल जाने में लेट हो जाती। वहां डांट पड़ती। घर आकर रोती थी, लेकिन स्कूल से पहले हॉस्पिटल जाना नहीं छोड़ा। रोज मां को सजाती। मैंने एक बार पूछा, ऐसा क्यों करती हो? उसने कहा, अभी मैं उसे सजा रही हूं। जब वो जागेगी तो मैं उसे बताऊंगी कि कितने दिन मैंने उसे तैयार किया। अब वो मुझे तैयार करे।' 
7 साल तक कोमा में रहने के बाद डेनिजेला के शरीर में बिल्कुल ताकत नहीं बची। वो खुद चल भी नहीं पातीं। नर्स उन्हें सहारा देती है, तब वो थोड़ा चल पाती हैं। कभी वो लड़खड़ातीं, तो मेरिजा मां का हाथ पकड़ कर कहती, 'घबराओ नहीं। पहले तो मैं भी चल नहीं पाती थी। जॉर्ज ने मुझे चलना सिखाया। मैं सीख गई। आप भी सीख जाएंगी। मैं आपको सिखाउंगी।'
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: जागरण समाचार 
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