Friday, March 17, 2017

फरवरी में हुई हिंसा के आरोपियों की मदद कर रही सरकार: कोर्ट

पिछले साल फरवरी में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा और तोड़फोड़ के मामलों पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि हिंसा में दर्ज मामलों पर राज्य सरकार
आंदोलनकारियों की अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रही है। यदि सरकार मुकदमे वापस लेती तो इसका असर सीधा दिखाई देता। इससे बचने के लिए सरकार ने इसी काम को प्रत्यक्ष रूप से कर अप्रत्यक्ष रूप से मामलों में अनट्रेस रिपोर्ट देकर किया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। दंगा करने वालों के साथ सरकार की कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए। लेकिन सरकार केस वापस लेने की जगह अनट्रेस रिपोर्ट दाखिल कर रही है, जो आरोपियों की मदद करने का आसान तरीका है। हर केस को अनट्रेस रिपोर्ट किया जा सकता है। यह चिंता का विषय है। जस्टिस एसएस सारों जस्टिस दर्शन सिंह की खंडपीठ ने जिला स्तर पर गंभीर अपराध के मामलों की सूची मांगी है, जिनके चलते हिंसा भड़की। मामले पर अगली सुनवाई 6 अप्रैल के लिए तय की गई है। 
मूनक नहर क्षतिग्रस्त मामले में जस्टिस एसएस सारों ने कहा कि सरकार इस मामले में भी आरोपियों को पकड़ने में असफल रही है। कुल 1400 में से महज 5 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया गया। अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने के प्रयास होने चाहिए। वाटर सप्लाई शहर की लाइफ लाइन होती है। इसे प्रभावित करने का मतलब देश की छवि और देश की सुरक्षा से जुड़ा है। ऐसे में डीजीपी हाई लेवल अफसर की नियुक्ति करे। इस पर सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे एडीशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वे इस मामले में सरकार से इंस्ट्रक्शन लेने के बाद कोर्ट को जवाब देंगे। 
एमिकस क्यूरी (अदालत के सहयोगी) वरिष्ठ वकील अनुपम गुप्ता ने कहा कि अनट्रेस रिपोर्ट दायर करना सरकार की नाकामयाबी की कहानी बयां कर रहा है। पुलिस ने हिसार में 153 में से 29, भिवानी में 63 में से 27 झज्जर में 147 में 42 मामलों में अनट्रेस रिपोर्ट दाखिल की है। सोनीपत में 192 मामलों में से 118 में अनट्रेस रिपोर्ट दी गई है। इस पर सरकार के एडीशनल एडवोकेट जनरल पवन गिरिधर ने कहा कि अनट्रेस रिपोर्ट मामूली अपराध के मामलों में दायर की गई है। इनमें पेड गिराकर सड़क जाम करने जैसे मामले शामिल हैं। 
हिंसा के दौरान मुरथल में कथित दरिंदगी मामले की जांच कर रही स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) ने कोर्ट में बताया कि कुछ संदिग्ध लोगों का डीएनए कराया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने एसआईटी को एक लेटर सौंपते हुए कहा कि इसमें कुछ नाम हैं, जो जांच में मदद करेंगे। इस पर एमिकस क्यूरी अनुपम गुप्ता ने कहा कि यह कोर्ट को गुमराह करने जैसा है। बाद में कह दिया जाएगा कि डीएनए मिलान नहीं हो रहा। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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