डेल कार्नेगी ने कहा है निष्क्रियता संदेह और डर को जन्म देती है। काम करने से आत्मविश्वास और साहस पैदा होता है। अगर डर को परास्त करना है तो घर पर बैठे नहीं रहें और उसके बारे में सिर्फ सोचते रह जाएं। बाहर
निकलो और काम में व्यस्त हो जाओ। असल में डर से बाहर निकलने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपने डर को स्वीकार करना। चार साथियों को अपने डर के बारे में बताएंगे तो हो सकता है वे इसे दूर करने में मदद कर पाएं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अगर नहीं भी कर पाए तो आपका डर तो कुछ हद तक कम हो ही जाएगा। जब अचानक कोई डर सताता है तो पहला लक्षण सांसें तेज चलने के रूप में ही दिखाई देता है। इसलिए सांस पर नियंत्रण कर डर को कम किया जा सकता है। इस तरह डर के अन्य लक्षण सामने आने से पहले ही रुक जाते हैं। सामान्य से लंबी सांस लेने से शरीर तुरंत स्थिर हो जाता है। इसलिए अगर डर लगे तो सांस पर ध्यान लगाना सबसे अच्छा उपाय बताया जाता है। डर से दूरी बनाकर अपने कंफर्ट जोन में रहना आसान तरीका नजर आता है, लेकिन यह अच्छा नहीं है। इसके स्थान पर जिस काम से डर लगे उसे किसी अपने के साथ करना बेहतर होता है। जैसे अगर ऊंचाई से डर लगता है तो दोस्तों के साथ हाइकिंग ट्रिप पर जाएं। पानी से डर लगता है तो अपनों के साथ स्वीमिंग पूल जाएं। डर का सामना करने से ही उस पर जीत हासिल होगी।
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साभार: भास्कर समाचार
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