Saturday, March 25, 2017

लाइफ मैनेजमेंट: उद्‌देश्य से ज्यादा पवित्र होना चाहिए तरीका

मैनेजमेंट फंडा (एन. रघुरामन)
दोनों स्थानों पर परीक्षा का विषय समान था। यह बोर्ड की कठिन परीक्षा थी और स्वाभाविक रूप से विषय थे- विज्ञान और गणित, जिन्हें दसवीं बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्र सबसे कठिन मानते हैं। दोनों स्थानों पर सभी
लोग प्रार्थना कर रहे थे कि सभी छात्र पास हो जाएं। लोग अपने-अपने तरीके से उनकी मदद कर रहे थे। दोनों स्थानों पर छात्रों को तसल्ली दी जा रही थी और पूछा जा रहा था, 'कैसा किया'। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। दोनों ही स्थानों पर सभी छात्र मुस्कुराते हुए कह रहे थे, 'बहुत अच्छा' और साथ ही मदद के लिए 'थैंक यू' भी कह रहे थे। किंतु दोनों स्थानों पर फर्क यह था कि कैसे इस अच्छे परिणाम को पाया गया। पूरे शुक्रवार मथुरा की एक खबर दिनभर चलती रही कि कैसे चीटिंग माफिया परीक्षा केंद्रों पर खिड़कियों से छात्रों को एक के बाद दूसरा उत्तर बोलकर लिखवाते रहे और कैसे एक-दूसरे के पास बैठे सभी छात्रों ने सारे जवाब लिख दिए। निश्चित रूप से पैसों के लिए ही ऐसा किया गया होगा। यह सब होता रहा, वहां निगाह रख रहे टीचर और मूक खड़े पुलिसकर्मी की आंखों के सामने लेकिन, इस हलचल भरी जगह से हजारों किलोमीटर दूर एक गांव है- नाडा। बेंगलुरू से यहां पहुंचने के लिए 383 किलोमीटर का सफर करना होता है। यहां भी बच्चों की अच्छी मदद की जा रही थी, लेकिन अलग तरह से। 
कर्नाटक के इस गांव के स्कूल टीचर याकूब कोय्यूर ने 80 से ज्यादा यू-ट्यूब वीडियो बनाए हैं। 4000 से ज्यादा सबक वेबसाइट पर डाले हैं और इस तरह एक पूरी लेबोरेट्री खोल दी है। इसके पीछे उद्‌देश्य एक ही है कि बच्चे गणित और विज्ञान के डर से बाहर निकलें। सरकारी कन्नड माध्यम के स्कूलों के बच्चों की मदद के उनके इस पवित्र विचार के पीछे उद्‌देश्य बच्चों का सीखने का स्तर सुधारना और परीक्षा में अच्छे अंक दिलाना था। सरकारी स्कूल के इस असिस्टेंट टीचर ने ग्रामीण स्कूल के छात्रों के लिए ऐसा कंटेंट तैयार किया जो इन बच्चों की पहुंच में नहीं था। ये कंटेंट सामान्य तौर पर सिर्फ शहरी छात्रों के लिए अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध था। आईटी आधारित यह पहल कक्षा 8 के बच्चों के लिए परीक्षा पास करने में उपयोगी साबित हुई। बच्चों ने कुछ सबक यू-ट्यूब वीडियो से सीख लिए और कुछ www.inyatrust.co.in/2016/05/yakub.html पर मौजूद नोट्स, सवाल-जवाब और पासिंग पैकेज से। 
असल में उन्होंने देखा था कि अधिकतर छात्र गणित विषय में फेल हो जाते हैं, इसलिए उन्होंने मैथ्स वर्ल्ड लेबोरेटरी बनाई। यहां कक्षा 8वीं के बाद सभी छात्र मॉडल, ऑडियो-वीजुअल टूल्स और चार्ट के जरिये सीख सकते हैं। उन्होंने 750 पेजों के नोट्स तैयार किए हैं, इसमें से 360 पेज कन्नड़ में हैं और बाकी अंग्रेजी में हैं। सवाल और उत्तर के पासिंग पैकेज नोट्स 4000 पेजों में हैं। यह काम उन्होंने 2.5 लाख रूपए के आंशिक सरकारी सहयोग से शुरू किया था। स्कूल के पूर्व छात्रों ने इसमें 13 लाख रुपए लगाए। 2012-13 में सभी तरह के प्रयासों के बाद पास होने वाले छात्रों का प्रतिशत 69 था। लेकिन लेबोरेटरी खुलने के बाद इसमें बढ़ोतरी हुई। अगले दो वर्षों 2013-14 और 2014-15 में परिणाम 77 प्रतिशत से ज्यादा रहा। 8वीं कक्षा के जो बच्चे इस लेबोरेटरी का इस्तेमाल कर रहे थे, उन्होंने एक साल बाद से ही 95 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल करना शुरू कर दिया था। इस साल उनका लक्ष्य 100 प्रतिशत का है। इस मॉडल से प्रभावित होकर सरकारी हाई स्कूल और शिक्षक कोय्यूर के कदमों पर चल रहे हैं। भरोसा कीजिए जब परीक्षा के परिणाम आएंगे तो नाडा गांव के बच्चों को मथुरा के बच्चों ये ज्यादा गर्व का अनुभव होगा। 
फंडा यह है कि उद्‌देश्यपवित्र हो और साथ ही प्रक्रिया भी तो उद्‌देश्य और पवित्र हो जाता है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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