उत्तराखंडहाईकोर्ट ने सोमवार को गंगा और यमुना पर ऐतिहासिक फैसला दिया। कोर्ट ने गंगा-यमुना को 'लिविंग एन्टिटी' यानी जिंदा इकाई घोषित कर दिया। यानी गंगा और यमुना को देश के नागरिकों की तरह सभी
संवैधानिक अधिकार हासिल होंगे। इन्हें प्रदूषित करना या नुकसान पहुंचाना जीवित इंसानों को नुकसान पहुंचाने जैसा ही अपराध होगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कोर्ट ने 3 सदस्यीय कमेटी को नदियों का प्रतिनिधि बनाया है। इसमें नमामि गंगे के महानिदेशक, उत्तराखंड के मुख्य सचिव और एडवोकेट जनरल शामिल हैं। नदियों की ओर से ये लोग कोई भी केस दर्ज कर सकेंगे। हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव शर्मा और जस्टिस अालोक सिंह की बेंच ने हरिद्वार के मो. सलीम की अर्जी पर यह आदेश दिया। सलीम ने अतिक्रमण हटवाने के लिए 2014 में अर्जी लगाई थी। सलीम के वकील एमसी पंत ने कोर्ट को बताया था कि हाल में न्यूजीलैंड ने वांगनुई नदी को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया है। गंगा को भी हम लोग माता मानते हैं। क्यों यहां भी ऐसा कदम उठाया जाए। इस पर बेंच ने गंगा और यमुना को जीवित घोषित कर दिया।
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साभार: भास्कर समाचार
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