भारत-बांग्लादेश सीमा पर एक बाज़ार ऐसा भी है जो दोनों देशों की सीमा के बीच स्थित झील के सूखने पर लगता है। झील सूखते ही बीएसएफ के जवान झील के बीच में एक रस्सी बांध देते हैं ताकि लोग सीमा पार कर
सकें। रस्सी के दोनों ओर स्थानीय लोग पर्यटकों के लिए बाज़ार लगाते हैं। रोचक बात यह है कि इस बाज़ार में भारत और बांग्लादेश, दोनों देशों की करंसी चलती है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मेघालय में शिलांग से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित डावकी झील को सबसे स्वच्छ झीलों में से एक माना जाता है। इसी के चलते हर साल बड़ी संख्या में दोनों देशों से पर्यटक यहां पहुंचते हैं। साल में कुछ माह ऐसे भी होते हैं जब इस झील का पानी सूख जाता है। पानी सूखते ही बीएसएफ को झील के बीचोंबीच एक रस्सी बांधनी पड़ती है ताकि लोग सीमा पार जाने पाएं। इसी मौके पर स्थानीय लोग सूखी झील में बाज़ार लगाते हैं जिनमें आमतौर पर खाने-पीने की स्थानीय चीजें होती हैं। अपनी तरह के इस अनूठे बाज़ार में लोग दूसरे देश के दुकानदारों और पर्यटकों से बातचीत कर सकते हैं, लेकिन रस्सी पार कर दूसरी ओर नहीं जा सकते। बांग्लादेश के जाफलांग इलाके से आए दुकानदार मोहम्मद अलाऊद्दीन कहते हैं- मैं यहां पानी सूखने पर अचार बेचता हूं और दोनों देशों की कुल मिलाकर 2500 रुपए की कमाई कर लेता हूं। डावकी चेक पोस्ट पर बीएसएफ के तीन जवान हमेशा तैनात रहते हैं जो मुख्य रूप से इस बात पर नज़र रखते हैं कि एक देश का व्यक्ति दूसरे देश की सीमा में जाए। स्थानीय लोगों को ये लोग पहचानते हैं लेकिन पर्यटकों पर इन्हें पैनी निगाह रखनी होती है। लगभग ऐसी ही चौकसी बांग्लादेश की तरफ से भी होती है लेकिन रस्सी दोनों के बीच एक ही होती है। स्थानीय व्यापारी बताते हैं कि चूंकि यहां दोनों देशों की करंसी का चलन है लिहाजा कई बार दूसरे देश की करेंसी ज्यादा जाती है। बाज़ार खत्म होते ही दुकानदार आपस में करंसी बदल लेते हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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