Wednesday, February 8, 2017

कोर्स रिव्यु: प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट

सूखा, बाढ़, चक्रवाती तूफानों, भूकम्प, भूस्खलन, वनों में आग, ओलावृष्टि या ज्वालामुखी फटना- ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के बारे में पूर्वानुमान लगाना मुश्किल होता है। हालांकि मौजूदा समय में सुनामी जैसी
आपदाओं के बारे में मौसम विभाग चेतावनी जारी करता है। ऐसे में इनके प्रभाव को कम किया जा सकता है, जिससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ऐसे समय में डिजास्टर मैनेजमेंट या आपदा प्रबंधन प्रोफेशनल की जरूरत होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश का 60 फीसदी हिस्सा भूकंप, 12 फीसदी बाढ़ और 8 फीसदी चक्रवात के लिए संवेदनशील माना जाता है। डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल का मुख्य काम ऐसी आपदाओं के प्रभाव को कम करना होता है। आपदा प्रबंधन की सबसे बड़ी चुनौती आपदाग्रस्त सीमा-क्षेत्र और होने वाले नुकसान का आकलन करना होता है। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें आवश्यक धन उपलब्ध कराती हैं। इन सबमें मुख्य सरकारी एजेंसी के रूप में गृह मंत्रालय बड़ी भूमिका निभाता है। वह आपदा के समय डिजास्टर मैनेजमेंट का कार्य संभालता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दसवीं पंचवर्षीय परियोजना में डिजास्टर मैनेजमेंट को स्कूल और प्रोफेशनल एजुकेशन में शामिल किया था। वर्ष 2003 में पहली बार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने आठवीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान विषय के पाठ्यक्रम में इसे जोड़ा। फिर आगे की कक्षाओं में और सरकारी गैर सरकारी उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में भी डिजास्टर मैनेजमेंट की पढ़ाई होनी लगी। इसमें छात्र सरकारी एजेंसियों के डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट, लॉ एनफोर्समेंट अथॉरिटीज़ या रिलीफ एजेंसियों में काम कर सकते हैं। इसके अलावा प्रोफेशनल इंश्योरेंस कंपनी, केमिकल, माइनिंग और पेट्रोलियम इंडस्ट्री में डिजास्टर मैनेजमेंट सेल में नौकरी कर सकते हैं। 
एलिजिबिलिटी: किसी भी शैक्षणिक बैकग्राउंड वाले छात्र इस क्षेत्र में कॅरिअर बना सकते हैं। इस क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए छात्र डिजास्टर मैनेजमेंट के एमबीए या एमए कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। 50 फीसदी अंकों के साथ किसी भी स्ट्रीम से बैचलर डिग्री कोर्स करने वाले छात्र इसके एमबीए या एमए कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। कुछ संस्थानों में प्रवेश एंट्रेंस टेस्ट के वैलिड स्कोर के माध्यम से मिलता है। इसके अलावा छात्र डिजास्टर मैनेजमेंट के डिप्लोमा या सर्टििफकेट कोर्स में भी प्रवेश ले सकते हैं। 
कमाई: इस क्षेत्र में फ्रेशर को 10 से 15 हजार रुपए का मासिक सैलरी पैकेज मिल सकता है। दो से तीन वर्ष के अनुभव के बाद सालाना 2.5 से 3 लाख रुपए का सैलरी पैकेज मिल सकता है। हालांकि प्राइवेट कंपनियों के डिजास्टर मैनेजमेंट सेल में पैकेज और भी ज्यादा हो सकता है। 
प्रमुख संस्थान: 
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, दिल्ली www.nidm.gov.in 
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट, दिल्ली www.ecology.edu 
  • सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी www.smu.ac.in
  • इंदिरा गांधी नेशनल आेपन यूनिवर्सिटी, दिल्ली www.ignou.ac.in

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साभार: भास्कर समाचार 
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