Monday, December 12, 2016

सुधार शुरू हो रहा है: सहारण खाप का फैसला, शादी में डीजे, मृत्युभोज आदि पर रोक, नए साल से लागू होंगे नियम

वैवाहिक परंपराएं अब वधू पक्ष के लिए खर्चीली साबित नहीं होंगी। परंपराओं की आड़ में होने वाले खर्च पर अंकुश लगाने के लिए सहारण खाप ने मुहिम शुरू की है। खरक पांडवा गांव की बड़ी चौपाल पर पांच गांवों की महापंचायत खाप प्रधान रामपाल सहारण और पूर्व प्रधान साधु राम कौलेखां की अध्यक्षता में हुई। जहां डीजे पर
पूर्णत प्रतिबंध, मृत भोज पर रोक, दाह संस्कार पर रिश्तेदारों का बड़े पैमाने पर बुलावा करने, लड़की की मांग भराई रस्म में पांच लोगों की संख्या निर्धारित करने के साथ ग्रामीण विकास से संबंधित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इन पर रामगढ़ पांडवा, कौलेखां, दुब्बल, खेड़ी लांबा समेत खरक पांडवा गांव के प्रतिनिधियों ने सहमति जताई। निर्णय को एक जनवरी 2017 से प्रभावी माना जाएगा। रामपाल सहारण, साधु राम कौलेखां, ऋषिपाल सरपंच, गुरनाम सिंह, हजूर सिंह, रणधीर दुब्बल, कर्मवीर सिंह, ऋषिपाल कौलेखां, बलदेव भूल्लर, भोपाराम, सुरेंद्र लांबा, महेंद्र रामगढ़ और दूसरे प्रतिनिधियों ने कहा कि परंपराओं की आड़ में सामाजिक समरसता से खिलवाड़ हो रहा है। इसके चलते रिश्तों की डोर जुड़ने से पहले टूट रही है। इन दरकते और खिसकते रिश्तों को बचाने के लिए उन कारकों पर अंकुश लगाना जरूरी है, जो समाज की बुनियाद कहे जाने वाले नातों में गांठ पैदा कर रहे हैं। कई बार यह देखने में आता है कि दाहसंस्कार पर रिश्तेदारों के बुलावे पर बड़ा जोर दिया जाता है। आनन-फानन में भागदौड़ के दौरान हादसे हो जाते हैं। इसी तरह लड़की की मांग भराई परंपरा वधू पक्ष के लोगों को महंगी पड़ रही है। वाहनों का लाव लश्कर इस रस्म को अदा करने के लिए पहुंचता है और खर्च का यह सिलसिला ताउम्र थमने का नाम नहीं लेता। रस्मों को अदा करने के नाम पर परिवारों पर बढ़ रहे बोझ ने व्यवस्था को हिला दिया है। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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