चीन द्वारा अमेरिकी ड्रोन जब्त किए जाने से दोनों देशों में नया विवाद छिड़ गया है। चीन की नौसेना ने गुरुवार को दक्षिण चीन सागर के नीचे अमेरिकी ड्रोन को जब्त किया था। यह मानव रहित यान अमेरिका के समुद्र विज्ञान पोत से छोड़ा गया था। चीन को आशंका थी कि यह समुद्र में उसके विवादित द्वीपों की जासूसी करने के
लिए छोड़ा गया। अमेरिका ने राजनयिक स्तर पर कड़ा विरोध जताया है। इसके बाद चीन के मीडिया ने उम्मीद जताई है कि यह मामला शांतिपूर्वक निपटा लिया जाएगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। माना जा रहा कि पहली बार अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र से किसी देश ने अमेरिकी यान पकड़ा है। चीन के युद्धपोत ने स्यूबिक बे में फिलीपींस से महज 50 समुद्री मील उत्तर पश्चिम में यह ड्रोन पकड़ा है। अमेरिकी अफसरों ने बताया कि ड्रोन अमेरिकी जहाज को आंकड़े दे पाता उससे पहले ही पकड़ लिया गया। इसे यूएसएनएस बोडिच से छोड़ा गया था। अमेरिका ने इसे लौटाने की मांग की है। पेंटागन ने चीन की इस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति दर्ज करवाई है।
चीन से रिश्ते बिगड़े तो बहुत बुरा होगा: अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि अगर चीन से रिश्ते बिगड़े तो यह अमेरिका के लिए बहुत बुरा होगा। साल की अपनी आखिरी प्रेस कांफ्रेंस में ओबामा ने कहा, अंतरराष्ट्रीय मामलों में चीन की भूमिका बढ़ रही है। इस हालत में चीन से बढ़ कर कोई द्विपक्षीय रिश्ता ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ताइवान की राष्ट्रपति से फोन पर बात की थी। उसे अमेरिका की एक-चीन नीति के विपरीत बताते हुए चीन विरोध कर रहा है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है।
क्या कर रहा था ड्रोन: अमेरिकी अफसर के मुताबिक इस ड्रोन का काम समुद्र के खारेपन और तापमान की जांच करना था। इसका संचालन असैनिक अधिकारी कर रहा था। चीन को आशंका थी कि इसे चीन की जासूसी के लिए छोड़ा गया है। इस पर लिखा था कि यह अमेरिका की संपत्ति है और इसे समुद्र से निकाला जाए।
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साभार: भास्कर समाचार
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