Wednesday, December 14, 2016

मामला गड़बड़ है: वर्दी के पैसे बैंकों में अटके, बच्चों को लगना पड़ रहा कतार में

नोटबंदीके बाद बैंकों में हो रही मारा-मारी स्कूल के बच्चों को भी झेलनी पड़ रही है। असल में शिक्षा विभाग ने निर्देश दिए कि बच्चों को दिए जाने वाले सर्दी के कपड़ों और जूतों आदि के पैसे सीधे उनके बैंक खाते में जाएंगे। इसके चलते जिन बच्चों के खाते अब तक नहीं खुले हैं और जिनके आधार लिंक नहीं हुए उनके पैसे खाते में नहीं
आए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जिनके पैसे खाते में गए वे पढ़ाई छोड़ कैश निकलवाने के लिए लंबी लाइनों में लगे हैं। सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल और अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा विभाग को इस बार वर्दी और जूतों के पैसे खाते में देने की जगह मैनुअल तरीके से देने चाहिए। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले पहली से 8वीं तक के बच्चों को वर्दी और जूतों के लिए पैसे दिए जाने की योजना है। पहली से छठी कक्षा तक पहले 400 रुपए मिलते थे जो बढ़ाकर 800 कर दिए गए। छठी से आठवीं तक 500 रुपए मिलते थे जो बढ़ाकर 1000 रुपए कर दिए गए। इससे पहले बच्चों के पैसे स्कूलों में आते थे। वहां से स्टाफ वर्दी और जूते खरीदकर बच्चों को वितरित करता था। इस बार शिक्षा विभाग ने स्कूल में दिए जाने वाले पैसे अब सीधे बच्चों के खाते में देने शुरू कर दिए। पहली से आठवीं कक्षा तक प्रदेश के सरकारी स्कूलों में करीब 16 लाख बच्चे हैं। जिनमें से केवल 7 लाख बच्चों के ही खातों में पैसे आए हैं।  
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साभार: भास्कर समाचार 
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