पेट्रोलियम और इससे जुड़े उत्पादों का इस्तेमाल देश की लगभग सभी इंडस्ट्री में किया जाता है। औद्योगिक गतिविधियों से इसका इस्तेमाल बढ़ा है। पेट्रोलियम और गैस के लिए क्षेत्रों का मुआयना, विकास और उत्पादन की प्रक्रिया पेट्रोलियम इंजीनियरिंग कहलाती है। पेट्रोलियम इंजीनियर का प्रमुख काम केमिस्ट्री, मैथ्स,
इंजीनियरिंग और जियोलॉजी के सिद्धांतों का उपयोग कर ज्यादा से ज्यादा प्रभावी और कम खर्चीले तरीके से पेट्रोलियम उत्पादों की रिकवरी करना होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल का उपभोक्ता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।
भारत में तेल की कुल खपत में 81 फीसदी अायातित तेल की हिस्सेदारी है। 2015 के आंकड़ों के अनुसार भारत में 2015 में 3.85 मिलियन बैलर प्रति बैरल तेल का उपभोग हुआ। इसके अलावा 2015 में भारत में तेल का उत्पादन मिलियन बैरल प्रतिदिन था। 2016 के अंत तक इसके 4 मिलियन बैरल प्रतिदिन होने की संभावना है। 2008 से 16 के बीच यह 3.2 फीसदी की सालाना दर से बढ़ा। रिपोर्ट के अनुसार 2014 के अंत तक इस इंडस्ट्री में करीब 1 लाख 36 हजार 347 लोग कार्यरत थे।
पेट्रोलियम इंडस्ट्री प्रमुखत: दो हिस्सों में बंटी है- अपस्ट्रीम सेक्टर और डाउनस्ट्रीम सेक्टर। अपस्ट्रीम सेक्टर में तेल को खोजने और उत्पादन का काम शामिल है। डाउनस्ट्रीम में रिफाइनिंग, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का काम शामिल है। हालांकि पेट्रोलियम इंजीनियरिंग का कोर्स कुछ गिने-चुने संस्थानों में ही मौजूद है, इसलिए एडमिशन मिलना मुश्किल होता है। अधिकतर संस्थानों के यूजी कोर्स में जेईई एडवांस के जरिये प्रवेश मिलता है। पेट्रोलियम इंजीनियरिंग करने वाले छात्र ऑयल और गैस सेक्टर की कंपनियों में जॉब कर सकते हैं। इस क्षेत्र में मिडल ईस्ट के देशों मंे भी जॉब की बेहतर संभावनाएं हैं। इसके अलावा शिक्षण संस्थानों में जॉब की संभावनाएं हैं।
पेट्रोलियम इंडस्ट्री प्रमुखत: दो हिस्सों में बंटी है- अपस्ट्रीम सेक्टर और डाउनस्ट्रीम सेक्टर। अपस्ट्रीम सेक्टर में तेल को खोजने और उत्पादन का काम शामिल है। डाउनस्ट्रीम में रिफाइनिंग, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का काम शामिल है। हालांकि पेट्रोलियम इंजीनियरिंग का कोर्स कुछ गिने-चुने संस्थानों में ही मौजूद है, इसलिए एडमिशन मिलना मुश्किल होता है। अधिकतर संस्थानों के यूजी कोर्स में जेईई एडवांस के जरिये प्रवेश मिलता है। पेट्रोलियम इंजीनियरिंग करने वाले छात्र ऑयल और गैस सेक्टर की कंपनियों में जॉब कर सकते हैं। इस क्षेत्र में मिडल ईस्ट के देशों मंे भी जॉब की बेहतर संभावनाएं हैं। इसके अलावा शिक्षण संस्थानों में जॉब की संभावनाएं हैं।
एलिजिबिलिटी: मैथ्स, फिजिक्स और केमिस्ट्री के साथ 12वीं की परीक्षा पास करने वाले छात्र पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के बैचलर डिग्री कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। छात्रों को पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के बीई या बीटेक कोर्स में प्रवेश जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम के जरिए मिलता है। इसके बाद छात्र पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के मास्टर डिग्री कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। अधिकतर संस्थानों में मास्टर डिग्री कोर्स में प्रवेश गेट स्कोर के जरिए मिलता है। आगे की पढ़ाई के लिए छात्र पीएचडी कोर्स में दाखिला ले सकते हैं।
कमाई: इस क्षेत्र में शुरुआती कमाई कोर इंजीनियरिंग के प्रोफेशनल से ज्यादा होती है। फ्रेशर को इस क्षेत्र में 25 हजार से 30 हजार रुपए प्रतिमाह तक मिल सकता है। कुछ वर्षों के अनुभव के बाद सैलरी 45 से 60 हजार रुपए प्रति माह तक हो सकती है। विदेशों में सैलरी 50 से 80 हजार डॉलर सालाना हो सकती है।
प्रमुख संस्थान:
- पंडितदीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी, गांधीनगर http://www.pdpu.ac.in/
- आईआईटी, गुवाहाटी http://www.iitg.ac.in/
- देहरादून इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी http://www.dituniversity.edu.in/
- राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, रायबरेली http://www.rgipt.ac.in/
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साभार: भास्कर समाचार
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