ममताबनर्जी सरकार ने वेस्ट बंगाल से 'वेस्ट' शब्द हटाने का फैसला किया है। कैबिनेट ने राज्य का नाम बाकी भाषाओं में बांग्ला या बोंगो और अंग्रेजी में बंगाल करने की मंजूरी दी है। शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी दी। बताया कि इसके लिए 26 अगस्त से विधानसभा का सत्र बुलाया जाएगा। वैसे इस
फैसले के पीछे सीएम ममता का एक बैठक में आहत होना खास वजह बताई जा रही है। दरअसल, इंटरस्टेट काउंसिल की पिछले महीने दिल्ली में बैठक थी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। एक-एक करके राज्यों के वक्ताओं ने अपनी बात रखनी शुरू की। इसका क्रम 'ए' से 'डब्ल्यू' के अल्फाबेटिकल ऑर्डर में था। ममता का नंबर 28वां था। छह घंटे बाद उन्होंने जब अपनी बात रखनी शुरू की तो उन्हें सिर्फ 10 मिनट मिले। बताया गया कि समय कम है। जबकि वो कई मुद्दों पर बात रखना चाहती थीं। आखिरी वक्त और वक्ता होने के चलते उनकी बात पर ज्यादा गौर भी नहीं किया गया। इससे ममता बेहद आहत हुईं। उन्होंने उसी दिन राज्य का नाम बदलने का फैसला कर लिया था। एक महीने के अंदर ही कैबिनेट बैठक बुलाकर राज्य का नाम बदल दिया। ताकि अल्फाबेटिकल क्रम में राज्य का नंबर आगे सके। राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि सरकार पश्चिम बंगाल के नाम से पश्चिम हटाना चाहती है। विधानसभा में यदि नए नाम को मंजूरी मिलती है तो अल्फाबेटिकल ऑर्डर में राज्य का स्थान 28 से सीधे 4 हो जाएगा। मुख्यमंत्री ममता ने राज्यों की बैठक में भी इस मुद्दे को रखा था। क्योंकि राष्ट्रीय सम्मेलनों में जब तक राज्य के वक्ताओं के बात रखने का नंबर आता है, तब तक वे थक चुके होते हैं और सम्मेलन खत्म करने की तैयारी भी शुरू हो जाती है। इस तरह की परेशानी का सामना हम बहुत लंबे समय से करते रहे हैं। ममता ने 2011 में भी राज्य का नाम पश्चिम बंगो करने की बात कही थी। तब विपक्ष ने भी इसका समर्थन किया था। अल्फाबेटिकल ऑर्डर बदलने के लिए ही उड़ीसा ने अपना नाम ओडिशा कर लिया था। वहीं, कलकत्ता हाईकोर्ट का नाम बदलकर कोलकाता किए जाने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को जजों ने एक राय से खारिज कर दिया था। केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो का कहना है कि 'हम पश्चिम बंगाल का नाम बदले जाने का स्वागत करेंगे, लेकिन बोंगो नाम सही नहीं होगा। ये एक म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट का नाम है।'
नाम बदलने से ये होगा फायदा: राज्य के सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा में नाम बदलने का फायदा मिलेगा। वे सत्र के पहले हाफ में ही स्थानीय मुद्दों को उठा सकेंगे। फिलहाल सांसदों को लंच के बाद बोलने का मौका मिलता है। और लंच के बाद सदन में सदस्यों की संख्या कम हो जाती है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.