Saturday, August 13, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: इंसानियत दिखाने वालों को आसानी से मिलती है नौकरी

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु) 
घटना 1: यह धक्कादायक घटना इस सप्ताह गुरुवार सुबह घटी। 402 से ज्यादा वाहन एक घायल व्यक्ति के नजदीक से गुजरते रहे। इनमें 140 कार, 82 तीन पहिया वाहन और 181 बाइक्स तो थी ही साथ ही पुलिस वैन भी थी। किसी ने भी उसकी ओर ध्यान नहीं दिया। उन 45 लोगों को तो भूल ही जाइए जो पैदल चलते हुए उसके पास से निकल गए। किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि वह कचरे के ढेर में क्यों है। नई दिल्ली के सुभाष रोड पर सुबह 5.40 बजे से 29 मिनट तक वह वहीं पड़ा रहा, जब तक कि उसके दोस्त उसे बचाने नहीं गए। सीसीटीवी फुटेज दिखाते हैं कि उसे एक टेम्पो ने टक्कर मारी थी और कचरे के ढेर में पहुंचने से पहले वह कई मीटर दूर तक हवा में फिंका गया था। तिपहिया वाहन वहां से फरार हो गया और एक रिक्शा खींचने वाले ने उसकी जेब से मोबाइल फोन ले लिया। दुर्घटना के पांच मिनट बाद तक वह व्यक्ति जीवित था। एक पुलिस वैन वहां से गुजरी, लेकिन खून के निशान देख उसे कोई बेघर शराबी समझा और छोड़कर चली गई। तब भी वह जीवित था। जब तक उसे अस्पताल पहुंचाया गया बहुत सारा खून बहने से उसकी मौत हो चुकी थी। 
घटना 2: 43 साल की शारदा जाधव पेशे से टीचर हैं और मध्यप्रदेश के उज्जैन में रहती हैं। अपना पुराना जॉब उन्होंने हाल ही में छोड़ा था और वे नई नौकरी की तलाश में थीं। उस दिन वे नागदा में उज्जैन-उन्हैल रोड स्थित एक निजी स्कूल में इंटरव्यू के लिए पहुंची थीं। इंटरव्यू के एक सप्ताह पहले ही स्कूल ने किसी वरिष्ठ अधिकारी को सिक्किम भेजा था ताकि वे इंग्लिश बोलने वाले युवा टीचरों को वहां से ला सकें। ये लोग भी फाइनल इंटरव्यू वाले दिन वहां मौजूद थे। ऐसा नहीं था कि शारदा को अच्छी अंग्रेजी नहीं आती थी, लेकिन उनकी बॉडी लैंग्वेज ने चयनकर्ताओं को यह संकेत दिया कि वे हर रोज उज्जैन से नागदा आने-जाने को लेकर थोड़ी आशंकित हैं। यह करीब 25 किलोमीटर की यात्रा है। यही कारण था कि स्कूल अथॉरिटी ने सिक्किम से आए टीचर को प्राथमिकता दी। हालांकि, वे हर मामले में उनसे बेहतर थीं। इंटरव्यू खत्म होने के बाद एक पेनलिस्ट ने सौजन्यता के तौर पर उन्हें अपनी कार से छोड़ने का प्रस्ताव किया। साथ में दो टीचर और थीं, जिन्हें चुन लिया गया था। पेनलिस्ट ड्राइविंग सीट पर थे और तीनों महिलाएं अन्य तीन सीटों पर थीं। ये लोग पुराने और नए शहर को जोड़ने वाले फ्रीगंज क्षेत्र के ब्रिज तक गए थे। ये उज्जैन में वन-वे रास्ता है। शारदा ने देखा कि एक महिला सड़क पर गिरी हुई है और कराह रही है। साथ की अन्य महिलाएं यह नहीं देख पाईं, क्योंकि कार की गति काफी तेज थी। इसके पहले की शारदा कुछ कहती कार करीब 400 मीटर की दूरी तक आगे निकल गई। उसने पेनलिस्ट से अनुरोध किया कि वे लॉन्ग यू टर्न ले लें, क्योंकि यह वन वे है। बुजुर्ग महिला को तेज वाहन ने टक्कर मारी थी और उसका घर सिर्फ वहां से 500 मीटर की दूरी पर था। उसके पास किसी को सूचना देने के लिए मोबाइल फोन भी नहीं था। 
तीनों कैंडिडेट्स और पेनलिस्ट ने यह बात सुनिश्चित की कि उन्हें किसी परिवार के सदस्य को सौंप दिया जाए, जो उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाए। जब पेनलिस्ट घर पहुंचे तो उन्होंने स्कूल मैनेजमेंट के समक्ष सिफारिश रखी कि वह शारदा को अपॉइंट कर ले। चूंकि इस साल सेशन शुरू हो गया है तो उन्हें जूनियर विंग दे दी गई। समस्याओं को तेजी से समझने और ऑब्जर्वेशन क्षमता की वजह से वे छात्रों में बहुत पॉपुलर हो गईं हैं। जिस स्कूल ने उन्हें ट्रांसपोर्ट के मुद्‌दे पर सिलेक्ट नहीं किया था वह आज 22 हजार रुपए हर महीना तीन शिक्षकों के ट्रांसपोर्ट पर खर्च करता है। 
फंडा यह है कि यदि आप अपने व्यक्तित्व में इंसानियत को आत्मसात करें तो यह आपको नौकरी दिलाने में मददगार हो सकता है। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।