Saturday, August 13, 2016

हाई कोर्ट ने पंजाब के 18 मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को बताया असंवैधानिक; हरियाणा के भी चार सीपीएस हट सकते हैं

पंजाब सरकार के 18 मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की कुर्सी चली गई है। पंजाब एवं हरियाण हाई कोर्ट ने इन नियुक्तियों को असंवैधानिक करार दिया है। जस्टिस एसएस सारों एवं जस्टिस रामेंद्र जैन की पीठ ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि ये नियुक्तियां संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन कर की गई थीं।
उन्होंने 2012 में सरकार की ओर से नियुक्त 18 सीपीएस की नियुक्ति को रद कर दिया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। दूसरी ओर इसी वर्ष अप्रैल में नियुक्त छह सीपीएस फिलहाल बच गए हैं। कोर्ट ने उनका मामला विचाराधीन रखा है। हाई कोर्ट ने पिछले साल 28 जुलाई को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा था। एक साल 15 दिन बाद यह फैसला सुनाया गया। हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किस प्रावधान के तहत नियुक्तियां की गई हैं। मंत्रियों, विधायकों व मुख्य संसदीय सचिवों को दिए जाने वाले वेतन भत्ते व अन्य सुविधाओं व शक्तियों की जानकारी भी मांगी थी।
इस आधार पर रद हुईं नियुक्तियां: हाई कोर्ट के वकील एचसी अरोड़ा व जगमोहन सिंह भट्टी ने इन नियुक्तियों को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि सीपीएस की नियुक्ति का संविधान में कोई प्रावधान नहीं है। संविधान के 91वें संशोधन में केंद्र और राज्य सरकार में मंत्रियों की संख्या सीमित कर दी गई थी। राज्य विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या के 15 फीसद से ज्यादा मंत्री नियुक्त नहीं किए जा सकते। इसके बावजूद ये नियुक्तियां की गईं और उन्हें मंत्री पद के बराबर सुविधाएं व भत्ते दिए जा रहे हैं।इन पर गिरी गाज: अकाली दल से चौधरी नंद लाल, संत बलबीर सिंह घुन्नस, देसराज धुग्गा, हरमीत सिंह संधू, मनतार सिंह बराड़, मोहंिदूर कौ, अविनाश चंद्र, अमर पाल अजनाला, विरसा वल्टोहा, गुरबचन सिंह बब्बेहाली, एनके शर्मा, एफ निसारा खातून, प्रकाश गर्ग, पवन टीनू व सरूप चंद सिंगला और भाजपा से केडी भंडारी, नवजोत कौर सिद्धू व सोम प्रकाश।
अन्य छह पर लटकी तलवार: सरकार ने इसी वर्ष अप्रैल में छह और सीपीएस की नियुक्तियां की थीं। इन पर कोर्ट ने फिलहाल मामला विचाराधीन रखा है। हालांकि, इनकी कुर्सी जाना भी तय है। इनमें गुरतेज घुरियाणा, मंजीत सिंह मियांविंड, दर्शन सिंह शिवालिक, गुरप्रताप सिंह वडाला, सुखजीत कौर साही और सीमा रानी शामिल हैं। परगट सिंह ने शपथ नहीं ली थी।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की ओर से पंजाब सरकार द्वारा साल 2012 में नियुक्त 18 मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियां रद किए जाने के बाद इसी जजमेंट के आधार पर हरियाणा के चार संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद होनी तय हैं। हाईकोर्ट ने हरियाणा के संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर लगातार सुनवाई इसी आधार पर स्थगित की थी कि पंजाब के संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला हो सके। बता दें कि हरियाणा सरकार द्वारा श्याम सिंह राणा, बख्शीश सिंह विर्क, सीमा त्रिखा और डॉ. कमल गुप्ता को मुख्य संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था। इन चार संसदीय सचिवों की नियुक्ति को एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए इन नियुक्तियों को रद किए जाने की हाईकोर्ट से मांग की थी।
न्यायालय सवरेपरि है। उसके द्वारा जो भी फैसला लिया जाएगा, पूरे आदर व सम्मान के साथ उसकी पालना की जाएगी। इस बीच यह भी देखना होगा कि यह फैसला हरियाणा को प्रभावित करेगा या नहीं। -कमल गुप्ता, सीपीएस, हरियाणा
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारजागरण समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.