Friday, May 6, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: रिटायर हो गए तो क्या, दूसरी पारी की शुरुआत कीजिए

एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा) 

स्टोरी 1: हममेंसे कितने ही लोगों ने सब्जियों को नाली के पानी से धोते हुए और खेतों में नाले के पानी से सिंचाई होते देखा है। यही पत्तेदार सब्जियां हमारे किचन तक पहुंचती हैं। हम शहरवासियों का इस तरह के दृश्यों से महीने एकाध बार तो सामना हो ही जाता है, लेकिन इसे ठीक करने के लिए हमने क्या किया या हम क्या कर पाते हैं? कुछ नहीं। कुछ समय बाद हम यह दृश्य भूल भी जाते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कर्नाटक में 10 साल पहले एस. मधुसूदन और उनकी पत्नी एक गांव में गए थे। उन्होंने ऐसा ही नज़ारा देखा कि नाली के पानी से गाजरों को धोया जा रहा है। इसी गंदे पानी से गाजर के खेत में सिंचाई भी हो रही है। उन्हें यह देखकर धक्का लगा कि किस तरह गंदे नाले के पानी का इस्तेमाल करके सब्जियां और फल उगाए जा रहे हैं, लेकिन अधिकतर लोगों की तरह उन्होंने ने भी कुछ नहीं किया। वापस लौटकर अपनी प्रोफेशनल लाइफ में व्यस्त हो गए। किंतु पांच साल पहले जब उनकी सेहत बिगड़ने लगी और अपना मौजूदा काम करने में दिक्कत महसूस होने लगी तो एक बार फिर मधुसूदन यह सोचने पर मजबूर हो गए कि अब आगे जीवन में करना क्या है। वे सोचने लगे कि क्या दूसरी पारी शुरू की जा सकती है।
कई मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग कंपनियों में प्रमुख रहे 51 साल के मधुसूदन गंभीरता से सोचने लगे कि क्या कारण है कि उनकी सेहत खराब हो गई है। सोचने लगे कि उन चीजों को नियंत्रण में लेना होगा जो उनके और परिवार के शरीर में जाती है- सांस से लेकर भोजन तक। बेंगलुरू में 1200 वर्गमीटर के प्लॉट पर उन्होंने सब्जियां उगानी शुरू की। हालांकि उन्हें इसका कोई अनुभव नहीं था, क्योंकि अब तक तो वो सिर्फ बिज़नेस ही करते आए थे, लेकिन धीरे-धीरे और कुछ पैसों का नुकसान उठाकर उन्होंने सीख लिया कि कैसे खेती के लिए जमीन तैयार की जाती है, बीज रोपे जाते हैं और फलों और सब्जियों की खेती की जाती है। आज तमिलनाडु और कर्नाटक में उनके 180 एकड़ में ऑर्गेनिक फार्म हैं। यहां वे पालक से लेकर, नारियल और फूल गोभी तक उगाते हैं। उनका पद है चीफ फार्मर और कंपनी का नाम है बैक 2 बेसिक्स। अपनी वर्किंग लाइफ में 360 डिग्री का यह परिवर्तन उन्हें काफी फायदेमंद साबित हो रहा है और इसकी शुरुआत हुई थी सेहत खराब होने से हो रही तकलीफ से। 


स्टोरी 2: 57साल की उम्र में वी. विद्यानाथन कोग्निजेंट के एक वैश्विक कार्यक्रम के प्रमुख थे। कई सालों से यहां काम कर रहे थे। हालांकि रिटायरमेंट को लेकर उन्हें कई तरह के डर थे, लेकिन इस बारे में गंभीरता से कुछ सोचा नहीं था। एक दिन नव-नियुक्त महिला कर्मचारी के पिता से मिलकर उन्हें नई राह मिली। महिला के पिता चेन्नई स्थित ऑफिस में बेटी को मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी पर रखने के लिए धन्यवाद देने आए थे। उस बुजुर्ग व्यक्ति ने अपने ग्रामीण और गरीब परिवेश की कहानी बताई कि कैसे एक-एक मुश्किल का सामना कर बेटी को पढ़ाया। इस बातचीत ने उन पर गहरा असर डाला। घटना से विद्यानाथन को ग्रामीण क्षेत्रों में सभी के लिए शिक्षा मुहैया कराने की प्रेरणा मिली और इस तरह क्लासले नॉलेज प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत हुई। इसका काम है सोशल लर्निंग नेटवर्क के माध्यम से भारत भर में कंपनियों, कॉलेजों, छात्रों की शिक्षा और रोजगार की गुणवत्ता में सुधार करना है। क्लासले ने छात्रों को ग्लोबल संसाधन और वालेंटियर विशेषज्ञों की सुविधा दी है ताकि छात्रों का संपूर्ण विकास हो सके। यह बात सिर्फ मधुसूदन और विद्यानाथन की नहीं है, जो 50 की उम्र के बाद इस तरह अपने काम को नया रूप और विस्तार दे रहे हैं, उन्हीं की तरह कई लोग ऐसा कर रहे हैं। जोखिम की चिंता किए बिना। भरोसा कीजिए ये लोग सफलतापूर्वक अपनी दूसरी पारी खेल रहे हैं। 
फंडा यह है कि रिटायरमेंट के बाद के जीवन से घबराने की जरूरत नहीं है। जीवन में नई पारी आसानी से शुरू की जा सकती है और इसके लिए अपने वर्तमान जॉब के अनुभव का पूरा लाभ लीजिए। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com

साभार: भास्कर समाचार 
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