Monday, May 2, 2016

मैनेजमेंट फंडा: हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का फर्क जानती है नई पीढ़ी

एन रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु) 
इस शुक्रवार की दोपहर हम अमेरिका के मिनेसोटा राज्य के हैम्पटन-इन में थे। यह प्रतिष्ठित हिल्टन होटल समूह का अंग है। इस राज्य में 10 हजार से ज्यादा झीलें हैं और बाहर का तापमान सिर्फ 5 डिग्री सेल्सियस था। ठंडी जलवायु का लुत्फ उठाने के इरादे से हम होटल से बाहर निकले और अपने कमरे की चाबी देने लॉबी में आए। वहां एक अलग ही नज़ारा देखने को मिला। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। तीन युवा लड़कियां पहले ही रिसेप्शन क्लर्क से बातचीत कर रही थीं। वे बीस से ऊपर की उम्र की होंगी। वे होटल में आई ही थीं और बहुत ही उत्साहित थीं। वे हंस रही थीं, ठहाके लगा रही थीं और ऐसा लग रहा था कि जल्द ही कोई जश्न होने वाला है। वे कार चलाकर आई होंगी, क्योंकि उनमें से एक को मैंने किसी छोटी-मोटी मरम्मत के लिए होटल स्टॉफ को कार की चाबी देते हुए देखा था। इन तीनों में से दो के हाथों में व्हिस्की के दो भिन्न ब्रैंड की बोतलें थीं। हम भारतीयों के लिए यह धक्कादायक था कि इन बोतलों को किसी अावरण में लपेटकर छिपाने की कोशिश नहीं की गई थी और इन्हें अपने बैग में रखा गया था। वे हाथों में बोतलें लेकर खड़ी थीं और मैंने अनुमान लगाया कि होटल में चेक-इन करने के पहले पड़ोस के किसी स्टोर से ये बोतलें ली गई होंगी। 
उन्होंने हमें देखा, लेकिन उन्हें कोई संकोच महसूस नहीं हुआ और होटल काउंटर के सुपरवाइजर को भी इसमें कुछ अजीब लगा। औपचारिकताएं पूरी होने के बाद काउंटर इन-चार्ज ने आइस बनाने वाली मशीन की जगह बताई और उन्हें खुशनुमा पार्टी की शुभकामनाएं दीं। वे लड़कियां बड़ी खुशी-खुशी हंसती-खिलखिलातीं लिफ्ट की ओर बढ़ गईं, बिना इस बात की परवाह किए कि आसपास की दुनिया उनके बारे में क्या सोच रही है। मुझे किसी एशियाई देश में इस तरह खुलेआम किसी महिला को हाथ में शराब की बोतल ले जाते और खुलेआम यह घोषणा करते नहीं देखा कि वे जश्न मनाने जा रही हैं। मेरी पत्नी और मैंने आंखों के इशारे से ही विचारों का आदान-प्रदान कर लिया, जिसका आशय यह था कि ईश्वर का शुक्र है कि हमारी बेटी यहां नहीं पढ़ रही है। 
उनके वहां से जाने के बाद हम काउंटर की ओर बढ़ें। काउंटर इन-चार्ज ने हमारी औपचारिकताएं पूरी कीं और फिर हमें अमेरिका के उस दूसरे सबसे बड़े मॉल का रास्ता बताया, जिसे 'मॉल ऑफ अमेरिका' कहा जाता है। इस मॉल को पूरा देखना हो तो तीन दिन चाहिए, वह भी बिना खरीदी किए। हम मॉल देखने निकल पड़े। 
मॉल और टाटा कंसल्टेंसी के विशाल ऑफिस में चार घंटे बिताकर थकने के बाद हम फिर मिनेसोटा नदी के किनारे लौट आए, क्योंकि हम जिस होटल में ठहरे थे वह नदी के दूसरे छोर पर था। क्या संयोग था कि हमने फिर उन तीन लड़कियों को नदी के किनारे पर फिशिंग करते यानी मछलियां पकड़ते देखा। नदी का किनारा उनके हंसने-खिलखिलाने की आवाजों से गूंज रहा था। हम बेंच पर यह देखने के लिए बैठ गए कि अमेरिका की यह युवा पीढ़ी किस प्रकार अपना वीकेंड मनाती है। जाहिर था कि वे सबकुछ भूलकर अपने छुटि्टयों का लुत्फ उठा रही हैं। 
जब भी कोई मछली कांटे में फंसतीं वे उसे अपने मुंह के नजदीक लातीं, उसे चूमतीं और फिर पानी में छोड़ देतीं। मैंने देखा कि मछली पकड़ने की बंसी से निकलकर मछली बड़ी खुशी से पानी मंे तैरती हुई दूर निकल जाती। मैंने उन सोफ्टवेयर पेशेवरों से इस अजीब व्यवहार का कारण पूछा तो उनका कहना था कि वे प्रकृति द्वारा दिए तोहफे को छूती भी नहीं, हालांकि उन्हें नया सॉफ्टवेयर बनाना पसंद है! मुझे उनके इस कहे कि गहराई समझने में वक्त लगा। 
अमेरिका में मिनेसोटा एकमात्र कड़े मरीन कानूनों वाला राज्य है, जबकि वहां 10 हजार से ज्यादा झीलें हैं। आप फिशिंग तो कर सकते हैं, लेकिन पकड़ी हुई मछलियां घर नहीं ले जा सकते। आसपास कोई पुलिस वाला नहीं था, फिर भी कोई पकड़ी हुई मछली घर नहीं ले जाता। हर मछली वापस पानी में छोड़ दी जाती है। हमने फिर एक-दूसरे को देखा और हमारी आंखों में जो भाव थे उसका अाशय था, 'काश! हमारी बेटी उनके साथ होती।' 
फंडा यह है कि युवापीढ़ी अच्छी तरह जानती है कि हार्डवेयर क्या है और सॉफ्टवेयर क्या है और हमें उनके बारे में तत्काल कोई फैसला नहीं कर लेना चाहिए। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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