Sunday, May 8, 2016

134A की चक्की में सरकार और प्राइवेट स्कूलों के बीच पिस रहे गरीब बच्चे

हरियाणा के प्राइवेट स्कूल संचालक और सरकार एक दूसरे को झुकाने की जिद पर अड़ गए हैं। गरीब बच्चों को पढ़ाने की एवज में ढ़ाई हजार रुपये मासिक मांग रहे प्राइवेट स्कूल संचालक मंगलवार को सीएम सिटी करनाल में डेरा डालेंगे, जबकि सरकार ने अभी तक प्राइवेट स्कूलों को बातचीत का कोई निमंत्रण नहीं दिया है। रविवार को अवकाश की वजह से बच्चे भले ही घर पर रहें, लेकिन सोमवार से जब तक हड़ताल रहती है, तब तक उन्हें घरों में ही रहकर स्कूल खुलने का इंतजार करना पड़ेगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। प्रदेश के प्राइवेट स्कूल हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम 2003 की धारा 134-ए को खत्म कर आरटीई लागू करने की मांग कर रहे हैं। यदि सरकार 134-ए खत्म नहीं करती तो प्राइवेट स्कूलों को गरीब मेधावी बच्चों को पढ़ाने की एवज में प्रति बच्चा ढ़ाई हजार रुपये चाहिए। प्राइवेट स्कूल फेडरेशन आफ हरियाणा के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा के अनुसार राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में गरीब बच्चों की फीस की भरपाई करने की एवज में 5 हजार करोड़ रुपये खर्च होने की जानकारी दी है, जबकि खर्च 600 करोड़ रुपये से अधिक नहीं आना है। कुलभूषण शर्मा का कहना है कि 10 मई को सीएम सिटी करनाल में धरना दिया जाएगा। सरकार की मंशा प्राइवेट स्कूल संचालकों को राहत देने की कतई नहीं है। इसलिए आंदोलन जारी रहेगा। प्राइवेट स्कूल संघ हरियाणा के अध्यक्ष सत्यवान कुंडू का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों के हड़ताल पर जाने से बच्चों की पढ़ाई का जो नुकसान हो रहा है, उसके लिए सरकार जिम्मेदार है, क्योंकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार गरीब बच्चों को पैसा देने के लिए तैयार नहीं है। प्राइवेट स्कूल संचालक अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर उस पढ़ाई को पूरा करेंगे। सत्यवान कुंडू ने कहा कि प्रदेश सरकार निजी स्कूलों पर नियम 134ए, बसों की समस्या व मान्यता के लिए कठोर शतेर्ं थोंपकर लगातार दबाव बना रही है, जबकि प्राइवेट स्कूल सरकार के हर महीने करोड़ों रुपये बचाकर प्रदेश के आर्थिक व शिक्षा के क्षेत्र में बुलंदियों पर ले जाने का कार्य कर रहे हैं। कुंडू ने कहा कि प्रदेश सरकार एक बच्चे पर सरकारी स्कूलों में लगभग 28 हजार रुपये सालाना खर्च कर रही है और प्राइवेट स्कूलों में लगभग नर्सरी से 12वीं तक 50 लाख बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अगर प्राइवेट स्कूल बंद हो जाएं तो सरकार का दिवालिया निकल जाएगा। कांग्रेस नेता एवं विधायक कुलदीप बिश्नोई का कहना है कि प्रदेश सरकार के ढुलमुल रवैए के कारण आज राज्य में हजारों आर्थिक रूप से गरीब छात्र स्कूलों में दाखिले के लिए जहां दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं, वहीं सरकार की नीतियों से प्राइवेट स्कूलों के सामने भी गंभीर समस्याएं पैदा हो गई हैं। भाजपा गरीब छात्रों एवं प्राइवेट स्कूलों दोनों की मांगे अनुसनी कर रही है। हर गरीब बच्चे को दाखिला मिलना चाहिए।

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साभारजागरण समाचार 
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