Thursday, January 7, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: जुनून को पहचान देने के लिए वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएं

एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
जब भी वह टेबल पर प्लेट में आधा भोजन छोड़कर अपना सामान उठाकर भागता तो मां हमेशा जोर से चिल्लाती, 'पता नहीं इसके दिमाग से यह पागलपन कब दूर होगा,' क्योंकि मुंबई के नज़दीक कल्याण उपनगर में एक चॉल में रहने वाले उस परिवार में भोजन का इस तरह नुकसान करना किसी अपराध से कम नहीं है। यह इलाका आमतौर पर संघर्षपूर्ण जीवन के लिए जाना जाता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट
ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। परिवार की जरूरतों को ऑटो रिक्शा ड्राइवर पिता पूरा करते हैं, जिनके लिए इन आवश्यकताओं को पूरा करना हिमालय की चोटी पर चढ़ने के समान मुश्किल है, लेकिन इस 15 साल के लड़के के लिए खेल ही जुनून है और वह भी क्रिकेट। ऐसा खेल जो आमतौर पर आर्थिक रूप से स्थिर परिवार में ही ज्यादा खेला जाता है। इस रविवार सुबह अपनी चॉल के एक कमरे में सोते हुए प्रणव धनवड़े अंडर 16 इंटर स्कूल मैच में अपने केसी गांधी इंग्लिश स्कूल का झंडा फहराने के लिए शतक बनाने की योजना बना रहा था, लेकिन दुर्भाग्य से एक आक्रामक खिलाड़ी और मिडिल ऑर्डर में खेलने के कारण उसे समय और रनों की जरूरतों को देखते हुए अक्सर अपना विकेट गंवा देने के लिए जाना जाता था। 
रविवार को जब परिवार में सभी टीवी सीरियल देख रहे थे, पिता ऑटो-रिक्शा लेकर जा चुके थे, प्रणव ने अपना स्टेनफोर्ड बैट निकाल लिया। इसी ब्रैंड का बैट श्रीलंका के महान बल्लेबाज महेला जयवर्धने भी इस्तेमाल करते हैं। 200 स्क्वेयर फीट के उस कमरे में वह अपने बैट से हैंड प्रेक्टिस करने लगा। बैट को बार-बार फर्श पर पटकने से आवाज हो रही थी, किसी ने उसे मुड़कर देखा और टोका भी कि बंद करो टुक-टुक की आवाज, क्योंकि सीरियल चल रहा था। 

तब तक प्रणव के नाम सिर्फ एक शतक था और वह एक और बनाने की प्रार्थना कर रहा था। वह अंपायर को जानता था, 62 साल के समिनल सैन, जो कोई गलती नहीं करते। उन्हें अंपायरिंग का 23 साल का शानदार अनुभव है। सोमवार को सुबह जब वह आर्य गुरुकुल स्कूल के खिलाफ मैच खेलने गया तो प्रणव ने स्कूल के कोच हरीश शर्मा को इस बात के लिए राजी किया कि अगर उसे मैच ओपन करना है तो उसे देर तक मैदान पर रुकना होगा। 
उसका पहला शतक 33 बॉल पर बना, दूसरा 63 बॉल पर और तीसरा 96 बॉल पर। दिन का खेल खत्म होने तक उसके बैट से 200 बॉल पर 652 रन बन चुके थे और वह 628 रन के सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर के 1899 के 118 साल पुराने एईजी कॉलिंस के रिकॉर्ड को तोड़ चुका था। उस दिन शाम तक स्टम्प के समय तक प्रणव के घर का माहौल बदल चुका था, वे प्रणव के पागलपन को महत्व देने लगे थे। घर पर भीड़ इकट्‌ठी होने लगी थी, स्थानीय नेताओं से लेकर उद्धव ठाकरे जैसे बड़े नेताओं के प्रतिनिधि उससे मिले और उसे बधाई दी और नकद पुरस्कार का प्रस्ताव भी दिया। मंगलवार को जब वह फिर खेलने गया तो, उसे बिल्कुल कल्पना नहीं थी कि वह 396 मिनट में 327 बॉल पर 1009 रनों की नाबाद पारी खेलेगा और अपने स्कूल के स्कोर को चार विकेट पर 1456 रन तक ले जाएगा। जीत तो इस मैच में कोई खबर ही नहीं थी। 
अचानक छोटे से उपनगर कल्याण और प्रणव क्रिकेट जगत में चर्चा का विषय बन गए। एमएस धोनी ने कहा कि 1009 रन बनाना क्रिकेट के किसी भी स्वरूप या किसी भी स्थिति में बहुत ही मुश्किल काम है। सचिन तेंडुलकर ने उन्हें नई ऊंचाइयों पर पहुंचने की शुभकामना दी। हरभजन सिंह तो इस आंकड़े से विस्मित हो गए और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने उन्हें बधाई का संदेश भेजा, इधर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर संदेशों की बाढ़ गई। अब प्रणव को सिर्फ घर में सभी, बल्कि पूरा क्रिकेट जगत गंभीरता से देख रहा है। 
फंडा यह है कि अगरआप किसी चीज के लिए पागल हैं तो उस पागलपन को उस स्तर तक ले जाएं कि पूरी दुनिया आपकी ओर देखे और पहचाने। यह सामान्य पागलपन (इसे जुनून पढ़ा जाए) नहीं उच्च दर्जे के पागलपन के दिन हैं। 

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साभार: भास्कर समाचार 
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