Monday, January 4, 2016

जीवन दर्शन: क्या करें जब अालोचना आपके स्वाभिमान को चोट पहुंचाए

आलोचना चाहे अच्छे उद्‌देश्य से हमारे हितैषी ने की हो या आहत करने के लिए कट्‌टर दुश्मन ने इससे सामना आसान नहीं होता। इससे सही तरीके से नहीं निपटा गया तो यह स्वाभिमान को नष्ट कर सकती है। इससे गरिमा और तटस्थता से लेकर ही खुद में सुधार संभव है। जब अालोचना आपके स्वाभिमान को चोट
पहुंचाए तो क्या करें? आइए जानते हैं: 
  • आलोचनाके साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसे व्यक्तिगत स्तर पर ले लिया जाता है। आपके काम में खामी निकालने का मतलब यह नहीं है कि आप खराब हैं। किसी महिला के खाना पकाने की निंदा का अर्थ यह नहीं है कि उस महिला को बुरा कहा जा रहा है। 
  • खुदसे पूछें कि इस आलोचना में मेरे काम की कौन-सी बात है? देखें कि कौन-सी बात है कि जिस पर काम करके खामी दूर की जा सकती है। शेष को भूल जाएं और खामी दूर करने में लग जाएं। 
  • आंखें बंद कर गहरी सांस लें और हृदय में प्रखरता से जलती ज्योति देखें। कुछ देर बाद जब आपको शांति या खुशी महसूस हो तो फिर खुद से पूछे कि समस्या का श्रेष्ठ समाधान क्या है। फिर उभरने वाले जवाब को सुनें। 
  • आलोचक से 'हां' 'ना' जैसे प्रश्नों की बजाय खुले प्रश्न पूछें जैसे 'क्या आप बताएंगे कि मैं भविष्य में इस समस्या से कैसे निपट सकता हूं।' इससे जाहिर होगा कि आप फीडबैक पाना चाहते हैं और वार्तालाप खुशनुमा माहौल में खत्म होगा। 
  • अपना अहंकार हटाकर आलोचना पर ऐसे गौर करें, जैसे आप किसी दूसरे की जिंदगी देख रहे हैं। पता चल जाएगा कि आप जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया दे रहे हैं या बेवजह आपकी आलोचना हो रही है। फिर गरिमामय रवैया अपनाना आसान हो जाएगा। 
  • जितने हम भावुक होते हैं उतनी हमारी सोच संकुचित होती जाती है। तर्कपूर्ण चिंतन करें कि जब हम सीखते हैं तो संबंधित संदेशों के लिए हमारे दिमाग को पाथ-वे बनाने पड़ते हैं, जब तक ये बन नहीं जाते गलतियां होती हैं और आलोचना भी। 
  • लोग महत्वपूर्ण सुझाव देते हैं, लेकिन उनका लहजा और हाव-भाव ऐसे होते हैं कि हम सुझाव पर नहीं, टकराव वाले रवैये पर ध्यान देते हैं। हमें आलोचना और उसकी शैली का फर्क समझना चाहिए। 
  • कई बार बिना किसी औचित्य के आलोचना की जाती है। यदि हम निर्लिप्त और शांत रहेंगे तो ऐसी निंदा को ऊर्जा नहीं मिलेगी, लेकिन लड़ने लगें तो उसे वह महत्व मिलेगा, जिसकी वह हकदार नहीं है। कई बार मुस्कान, चाहे वह बनावटी ही क्यों हो तनाव खत्म कर देती हैं और आप शांत बने रहते हैं। 

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साभारभास्कर समाचार 
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