Monday, January 4, 2016

प्रेरणास्रोत त्रिवेणी बाबा: लोगों के घरों में विशेष अवसरों पर लगवा चुके 12 लाख से ज्यादा पौधे

हरियाणा का कोई गांव शायद ही बचा होगा, जिसमें जानलेवा बीमारी कैंसर से पीड़ित मरीज नहीं हों। शुद्ध हवा के अभाव, खेतों में पेस्टीसाइड के अंधाधुंध इस्तेमाल और अशुद्ध पानी के उपयोग के कारण शहरी परिवेश में भी बीमारियां बढ़ी हैं। डॉक्टरों के साथ हर व्यक्ति के पास भी इन बीमारियों का इलाज है और उसका रास्ता
पर्यावरण संरक्षण से होकर जाता है। खासकर बरगद, पीपल और नीम की त्रिवेणी ऐसी है, जो सेहत के लिए रामबाण है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। भिवानी के बिसलवास गांव के रहने वाले करीब 50 वर्षीय सत्यवान पिछले 20 सालों से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वह काम कर रहे हैं। किसी बच्चे-बड़े के जन्मदिन का मौका हो या फिर शादी की सालगिरह, गृह प्रवेश की खुशी हो या फिर लड़के या लड़की का विवाह या लड़की व लड़के का जन्म, घर के बड़े बुजुर्ग का देहावसान हो गया अथवा कोई खास आयोजन, हर मौके पर सत्यवान लोगों के साथ मिलकर बरगद-पीपल और नीम की त्रिवेणी लगवाते हैं। इस अभियान की वजह से उनका नाम त्रिवेणी बाबा पड़ गया। स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रभावित त्रिवेणी बाबा अक्सर गेरुआ वस्त्र धारण करते हैं। बीए-बीएड तक पढ़े त्रिवेणी बाबा ने विवाह नहीं किया। आजीवन पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने को अपनी जिंदगी का मिशन बना लिया। उनकी आय का बाहरी जरिया कोई नहीं है। वे घर फूंक तमाशा देखने वाले पर्यावरणविद हैं। सरकारी व गैर सरकारी सहयोग से त्रिवेणी बाबा पिछले 20 सालों में सामान्य प्रजातियों के 20 लाख पौधे और बरगद-पीपल व नीम की त्रिवेणी के 12 हजार पौधे लगवा चुके हैं। त्रिवेणी बाबा के अनुसार घरों में खास आयोजन के अवसर पर लगाए गए त्रिवेणी के पौधों से लोगों का व्यक्तिगत रिश्ता जुड़ जाता है, इसलिए उनकी देखभाल में अधिक दिक्कतें नहीं आती। करीब 80 प्रतिशत तक पौधे फलते-फूलते देखे गए हैं।
अगले 10 साल में एक करोड़ पौधे, चूगा घर भी: सत्यवान उर्फ त्रिवेणी बाबा ने स्कूल, कालेजों व सार्वजनिक स्थानों पर पौधरोपण के प्रति लोगों को जागरूक करने व रोपित करने का अभियान चलाया हुआ है। अगले दस सालों में वह एक करोड़ पौधे रोपित करने का लक्ष्य लेकर काम कर रहे हैं। फिलहाल उनका टारगेट एरिया पालीटेक्निक, यूनिवर्सिटी और कालेज हैं। उनके अनुसार चंडीगढ़ में अब तक लगाई त्रिवेणियों में से 95 प्रतिशत कामयाब हैं। बाबा न केवल पर्यावरण बचाने में लगे हैं बल्कि पक्षी प्रेम भी उनमें अगाध है। पंचायतों को इसके लिए प्रेरित वे करते हैं। त्रिवेणी बाबा कहते हैं कि गांव से बाहर एक चबूतरा बनवाया जाना चाहिए। उसके चारों तरफ पौधे लगाए जाते हैं, जहां पक्षियों के लिए दाना डालने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है। यह चूगा घर पक्षियों का रैन बसेरा बन जाते हैं। उन्होंने लड़कियों के जन्म पर कम से कम सात पौधे रोपित करने की प्रेरणा दी। साथ ही वन एवं पर्यावरण विभाग से पौधरोपण अभियान चलाने में सहयोग का आह्वान किया है।
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साभारजागरण समाचार 
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