जिस उम्र में युवा अकसर फेसबुक और व्हाट्सएप की दुनिया में व्यस्त रहते हैं। उस उम्र में उसने पर्यावरण को बचाने का रास्ता चुना। हर रोज बिगड़ते पर्यावरण की सूचनाएं सुनकर कुछ बदलाव लाने की सोची। इसी सोच ने उसे अलग पहचान दी है। हम बात कर रहे हैं सिरसा शहर निवासी प्रतीक बिश्नोई की। उसने मात्र 17
साल की उम्र में ही पर्यावरण को बचाने का बीड़ा उठाया और घर को ही नर्सरी का रूप दे दिया है। वह कई हजार पौधे बांट चुका है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। प्रतीक अब गिफ्ट में भी हर किसी को पौधे ही देता है। इनमें औषधीय पौधों से लेकर फलदायी पौधे तक शामिल होते हैं। वर्ष 2009 में पर्यावरण बचाओ के पोस्टर लगाने से लेकर अब घर-घर में पौधे पहुंचाने की मुहिम ने प्रतीक को नई पहचान दिलाई है। आलम यह है कि जब भी किसी के मन में पौधा लगाने की इच्छा उठती है, वो प्रतीक के घर पौधे लेने के लिए पहुंच जाता है।
हर साल बांट रहे एक हजार पौधे: प्रतीक बिश्नोई बताया कि वो अपने घर बनी नर्सरी में हर साल एक हजार पौधे तैयार करता है। इनमें ज्यादातर पौधे औषधीय व फलदायी होते हैं। यह नर्सरी एक साल में खाली हो जाती है। 2010 से लेकर अब तक प्रतीक करीब साढ़े पांच हजार पौधे बतौर गिफ्ट दे चुका है। सिलसिला अभी बदस्तूर जारी है। अब तो सिरसा के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों के साथ-साथ राजस्थान व पंजाब में भी उनके यहां से पौधे जाने लगे हैं।
पर्यावरण बचाने पर मिला इनाम: पर्यावरण की रक्षा के लिए कड़ी मेहनत करने के फलस्वरूप प्रतीक बिश्नोई को अनेकों पुरस्कार भी मिले हैं। कई सामाजिक संस्थाएं उन्हें सम्मानित कर चुकी हैं। हाल ही में एक विदेशी मैगजीन की टीम भी उसके द्वारा किए गए कार्यो पर रिपोर्ट बनाकर ले गई है। वहीं फ्रांस के एक रेडियो चैनल ने भी उसका इंटरव्यू रिकॉर्ड किया है। प्रतीक बताता है कि समाचार पत्रों में पर्यावरण प्रदूषण के समाचार पढ़कर मन विचलित हो उठा और उन्होंने इसमें बदलाव की ठान ली। अब तो दूसरे लोग भी उनसे प्रेरणा लेने लगे हैं।
विशेष अवसरों पर गिफ्ट में देते हैं पौधे: कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से एमसीए कर रहे तेइस वर्षीय प्रतीक बिश्नोई को किसी के जन्मदिन, शादी, सालगिरह पर गिफ्ट देना हो तो वो कोई अन्य कीमती वस्तु नहीं खरीदता बल्कि अपनी नर्सरी में तैयार किया गया फलदायी पौधा संबंधित परिचित को गिफ्ट कर देता है। इतना ही नहीं, अगर घर पर कोई अतिथि भी आया हो तो उसे भी जाते समय वह एक पौधा उपहारस्वरूप देकर भेजता है। पौधे लगाना और लगवाना अब प्रतीक की दिनचर्या का अभिन्न अंग बन चुका है। वह अपने दादा धनराज बिश्नोई से औषधीय पौधों की जानकारी लेकर उन्हें भी नर्सरी में तैयार करता है।
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साभार: जागरण समाचार
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