Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
अब अशक्तता (डिसएबिलिटी) विदेश में उच्च शिक्षा
की राह में बाधा नहीं बनेगी। मोदी सरकार ने ऐसे विशेष छात्रों की परेशानी
को समझते हुए विदेश नीति में उच्च शिक्षा के नियमों में बदलाव कर दिया हैै।
अब ऐसे छात्रों को इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, मेडिकल व आर्ट्स नियमों के तहत
विदेशी विश्वविद्यालय में पढ़ने का मौका मिलेगा। अभी तक विदेशी
विश्वविद्यालय मेडिकल फिटनेस के चलते विशेष छात्रों को प्राथमिकता नहीं
देते
थे। मोदी के मेक इन इंडिया के तहत सभी छात्रों को समान शिक्षा देने के
उद्देश्य के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप
योजना तैयार की है, जिससे उच्च शिक्षा के लिए अशक्त छात्रों को विदेश भेजा
जाएगा। योजना का लाभ छात्रों को मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट
डिपार्टमेंट ऑफ डिसएबिलिटी अफेयर्स की ओर से मिलेगा, जिसमें आईपी
यूनिवर्सिटी समेत देशभर के विश्वविद्यालयों को सूचना जारी कर दी गई है।
योजना का लाभ ऐसे योग्य छात्र जो पिछले साल एडमिशन ले चुके हैं, उनको भी
इसका फायदा मिलेगा। हालांकि चयन के दौरान छात्र में कितना फीसदी अशक्तता
है, के आधार पर वर्ग बनाए जाएंगे। आवेदनकर्ताओं की आयु 35 वर्ष और पैरेंट्स की वार्षिक आय छह लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।
प्रतिवर्ष
भारत सरकार देशभर से इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट, प्योर साइंसेज, एप्लाइड
साइंस, एग्रीकल्चरल साइंस, मेडिसिन, कॉमर्स, अकाउंटिंग व फाइनेंस,
ह्यूमैनिटीज, सोशल साइंस व फाइन आर्ट में छात्रों का चयन करेगी। छात्रों को
यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम समेत अन्य देशों में भी पढ़ने
का मौका मिलेगा। आवेदनकर्ता ध्यान दें कि यदि वे अभी पढ़ाई के दौरान किसी
विदेशी विश्वविद्यालय के सेमिनार, ट्रेनिंग आदि से जुड़े रहे होंगे तो उनका
दाखिला रद्द कर दिया जाएगा।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: अमर उजाला समाचार
For getting Job-alerts and Education
News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE . Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.