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नौकरीपेशा लोगों के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट
में एंप्लॉइज प्राविडेंट फंड (ईपीएफ) के बारे में कहा कि कर्मचारियों को
दो विकल्प उपलब्ध कराने की जरूरत है। सबसे पहले तो कर्मचारियों को यह
विकल्प दिया जाना चाहिए कि वे ईपीएफ या नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में
से किसी एक का चयन कर सकें। दूसरा, जिन कर्मचारियों की मासिक आय एक निश्चित
सीमा से कम है उनके लिए ईपीएफ में योगदान करना वैकल्पिक होना चाहिए। जेटली ने बजट पेश करने के बाद बताया कि मुझे यह सुनकर अच्छा लगा कि एनपीएस ने 11 फीसदी का रिटर्न दिया है।
ईपीएफ और एनपीएस क्या चुनें आप: ईपीएफ पर साल 2014-15 के लिए मिलने वाला ब्याज 8.75 फीसदी है। जबकि, जैसा कि वित्त मंत्री ने बताया कि, एनपीएस पर 11 फीसदी का रिटर्न दे रहा है, यह रिटायरमेंट फंड बनाने का एक अच्छा जरिया हो सकता है। रिटर्न के नजरिए से एनपीएस, ईपीएफ की तुलना में कहीं बेहतर है। इक्विटी में निवेश करने के कारण लंबी अवधि में एनपीएस पर मिलने वाला रिटर्न ईपीएफ से बेहतर रह सकता है। पीएनबी मेटलाइफ के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर तरुण चुग ने कहा कि पेंशन प्रोडक्ट में निवेश करने वाले लोगों को 50,000 रुपए तक का टैक्स बेनीफिट बढ़ाना एक सकारात्मक कदम है। भारत में 35 साल से कम उम्र वाले लोगों की संख्या 80 करोड़ है जिन्हें अपनी रिटायरमेंट के प्लानिंग की शुरुआत करने की जरूरत है। और इनमें से 71 प्रतिशत युवाओं को इस बात की चिंता है कि रिटायरमेंट के दिनों में उनके पैसे कम न पड़ें। इससे उनकी सोशल सिक्योरिटी और रिटायरमेंट जरूरतों के लिए दबाव बनेगा। युवाओं का देश होने के कारण भारत में पेंशन प्लान की अपार संभावनाएं हैं क्योंकि रिटायरमेंट के लिए लोगों को जल्द निवेश शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार को ये लाभ एनपीएस के अलावा अन्य पेंशन फंडों पर भी देना चाहिए।
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साभार: भास्कर समाचार
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