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किसी समाज व किसी भी सभ्यता की प्रगति को तौलने का तरीका यह होता है कि आप
उस समाज व सभ्यता में महिलाओं की स्थिति का पता लगाएं। एक राष्ट्र का महत्व
इस बात से आंका जा सकता है कि उस देश में महिलाएं अपने आपको कितना
सुरक्षित व सम्मानित महसूस करती हैं। दुनिया में 3.3 अरब से भी ज्यादा
आबादी महिलाओं की है। 21वीं सदी में जहां एक ओर, महिलाओं ने अपने
आत्मविश्वास के बलबूते कई क्षेत्रों में सफलता के झंडे गाड़े हैं, वहीं
दूसरी ओर दुनिया में आज भी कुछ देशों में 'आधी आबादी' की हालत बेहद खराब
है। आइए जानते हैं ऐसे ही 9 देशों के बारे में: - डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो: देश के पूर्वी हिस्से में युद्ध ने 3 लाख लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। इनमें महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। युद्ध में शामिल सशस्त्र लड़ाके और दल महिलाओं को सीधा निशाना बनाते हैं। कांगो की महिलाएं कड़वी सच्चाइयों से रूबरू हैं- जैसे यहां हर दिन करीब 1100 रेप होते हैं, 1996 से देश में 2 लाख से भी ज्यादा रेप की घटनाएं सामने आई हैं, 57 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं खून की कमी से पीड़ित हैं। इस देश में महिलाएं पति की इजाजत के बिना किसी भी कानूनी दस्तावेज पर साइन नहीं कर सकती हैं।
- चाड: इस देश में महिलाओं को बहुत कम अधिकार हैं। अरेंज मैरिज यहां साधारण बात है। ज्यादातर 11-12 साल की उम्र में ही यहां लड़कियों की शादी कर दी जाती है। पूर्वी चाड में शरणार्थी शिविरों में रह रहीं सूडानी महिलाओं को बलात्कार और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। शिविरों के बाहर भी उन्हें शारीरिक हिंसा व प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। विपक्षी सशस्त्र समूह और चाड सुरक्षा बलों के सदस्य उन्हें निशाना बनाते रहते हैं।
- अफगानिस्तान: अफगानी पुरुषों की तुलना में औसतन एक अफगानी लड़की 45 साल तक ही जीवन जीती है। युद्ध और दमन के तीन दशकों के बाद भी इस देश में बड़ी संख्या में महिलाएं अनपढ़ हैं। यहां रेप पीड़ित महिलाओं को दुष्कर्मी से शादी के लिए भी बाध्य किया जाता है। शादीशुदा कुल महिलाओं में आधे से ज्यादा की उम्र 16 साल से भी कम है। देश में हर आधे घंटे में एक महिला की मौत बच्चे को जन्म देते वक्त होती है। 85 प्रतिशत से भी ज्यादा महिलाएं बिना डॉक्टरी मदद के ही मां बनती हैं। यहां मातृ मृत्यु दर दुनिया में सबसे ज्यादा है।
- सूडान: सूडानी महिलाओं ने कानूनों में सुधार के चलते प्रगति की है, हालांकि देश के पश्चिमी हिस्से दारपुर में इनकी हालत बहुत खराब है। 2003 से अपहरण, बलात्कार और जबरन विस्थापन के कारण एक लाख से ज्यादा महिलाओं की जिंदगी बर्बाद हो गई है।
- ग्वाटेमाला: सब-सहारा अफ्रीका के बाद यह दुनिया का ऐसा दूसरा क्षेत्र है, जहां एचआईवी/एड्स की दर सबसे ज्यादा है। देश में बड़ी संख्या में गरीब महिलाएं घरेलू हिंसा और रेप की घटनाओं से भी पीड़ित हैं।
- माली: यह दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है। यहां महिलाओं पर जल्द विवाह के लिए भारी दबाव डाला जाता है। उन्हें जननांगों के विकृति की यातना भी झेलनी पड़ती है। इसके खिलाफ यहां कोई भी कानून नहीं है। मां बनने वाली हर 10 महिला में से एक की मौत हो जाती है।
- सोमालिया: देश की राजधानी मोगादिशु में महिलाओं के खिलाफ जैसे गृहयुद्ध छिड़ा हुआ है। 95 प्रतिशत लड़कियां जननांगों की विकृति की यातना से जूझ रही हैं। इनमें से ज्यादातर की उम्र 4 से 11 साल के बीच है। संसद में सिर्फ 7.5 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। केवल 9 प्रतिशत महिलाओं को बच्चे के जन्म के वक्त मेडिकल सुविधा मिलती है।
- पाकिस्तान: देश के कुछ आदिवासी इलाकों में पुरुष सजा देने के लिए महिलाओं के साथ गैंग रेप करते हैं। पाकिस्तान में ऑनर किलिंग के मामले भी बहुत ज्यादा देखने में आते हैं। धर्म के नाम पर महिला राजनीतिज्ञों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों पर हमले की भी घटनाएं होती रहती हैं। घरेलू हिंसा से महिलाओं को बचाने के लिए देश में कोई कानून नहीं है। पिछले साल पाकिस्तान में महिलाओं व लड़कियों से जुड़े ऑनर किलिंग के लगभग 1000 मामले सामने आए। देश की 90 प्रतिशत महिलाएं अपने पूरे जीवनकाल में घरेलू हिंसा का सामना करती हैं। यहां स्त्रियां पुरुषों से 82 प्रतिशत कम कमाती हैं।
- इराक: अमेरिका द्वारा सद्दाम हुसैन के खात्मे के बाद से इस देश में महिलाओं का जीवन सांप्रदायिक हिंसा में उलझ गया है। आए दिन महिलाओं व लड़कियों पर हमले होते हैं। एक समय इस देश में महिला साक्षरता दर अरब देशों में सबसे अधिक थी, लेकिन आज यह सबसे कम है।
भारत में 70 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार: भारत में कुल बालिग युवतियों में से 39 प्रतिशत एचआईवी संक्रमण से पीड़ित
हैं। घरेलू हिंसा यहां बड़ी समस्या है। करीब 70 प्रतिशत महिलाएं इसकी शिकार
हैं। पिछली सदी में 50 लाख कन्या भ्रूणों की हत्या कर दी गई। 44.5 प्रतिशत
लड़कियों की शादी भारत में 18 साल की उम्र से पहले ही कर दी जाती है। नेशनल
क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक भारत में प्रति लाख महिला आबादी में
महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 52.2 है. जबकि राजधानी दिल्ली में यह आंकड़ा
146.79 है। देश में हर 3 मिनट में एक महिला के खिलाफ अपराध होता है, हर 29
मिनट में एक महिला दुष्कर्म का शिकार, हर 77 मिनट में दहेज के चलते एक
महिला की हत्या और हर 9 मिनट में एक महिला पति या अपने रिश्तेदारों की
क्रूरता का शिकार होती है। 2. चाड : इस देश में महिलाओं को बहुत कम अधिकार
हैं। अरेंज मैरिज यहां साधारण बात है। ज्यादातर 11-12 साल की उम्र में ही
यहां लड़कियों की शादी कर दी जाती है। पूर्वी चाड में शरणार्थी शिविरों में
रह रहीं सूडानी महिलाओं को बलात्कार और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है।
शिविरों के बाहर भी उन्हें शारीरिक हिंसा व प्रताड़ना झेलनी पड़ती है।
विपक्षी सशस्त्र समूह और चाड सुरक्षा बलों के सदस्य उन्हें निशाना बनाते
रहते हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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