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हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) से आवंटित भूमि पर चल रहे निजी
स्कूलों में गरीब बच्चों की रियायती शिक्षा को लेकर जनप्रतिनिधि संजीदा
होने लगे हैं। अटेली से भाजपा विधायक संतोष यादव ने विधानसभा में प्रश्नकाल
के दौरान रियायती शिक्षा को लेकर अपनी ही सरकार से सवाल कर दिया। यादव
जानना चाहती थीं कि प्रदेश में हुडा की जमीन पर बने स्कूल सरकार के
मापदंडों का पालन कर रहे हैं या नहीं। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों
को
रियायती दरों पर शिक्षा मिलने की भी उन्होंने जानकारी मांगी। जवाब में
मुख्यमंत्री ने बताया कि हुडा की 1991 की नीति के तहत स्कूलों और शैक्षणिक
संस्थाओं को भूमि का आवंटन निर्धारित मूल्यों पर किया जाता है। इसमें गरीब
छात्रों को भी शैक्षणिक लाभ दिए जाने का प्रावधान है। जमीन हासिल करने वाले
संस्थान, स्कूलों और न्यास को आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए हर सत्र
मं दस प्रतिशत सीटें आरक्षित रखनी होती हैं। गरीब बच्चों से फीस भी सरकारी
स्कूल की दर पर वसूलने का नियम है। इसके अलावा दस प्रतिशत सीटें उन छात्रों
के लिए आरक्षित रखनी होती हैं, जिनकी फीस उनकी योग्यता व परिवार की आय के
आधार पर निर्धारित होती है। स्कूलों के लिए प्रबंधन समिति में हुडा के एक
प्रतिनिधि को सदस्य के रूप में शामिल करना अनिवार्य है। याद रहे कि
प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को दाखिला देने में निजी
स्कूलों की मनमानी कई बार उजागर हो चुकी है। बीते एक वर्ष से स्कूल
प्रबंधकों और गरीब अभिभावकों के बीच दाखिला को लेकर विवाद चला आ रहा है।
मूल्यांकन परीक्षा पास करने के बावजूद अनेक बच्चों को अब तक दाखिला नहीं
मिल पाया है।
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साभार: जागरण समाचार
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