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हरियाणा की मनोहर सरकार ने अपना पहला आम बजट पेश करने से पहले पिछली हुड्डा
सरकार के नंबर वन राज्य के दावे की पोल खोलकर रख दी। मुख्यमंत्री मनोहर
लाल और वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने पिछली सरकार के दस साल के कार्यकाल
पर जो व्हाइट पेपर पेश किया है, उसके आंकड़ों को यदि सच माना जाए तो औसत
विकास दर में
हरियाणा पहले नहीं बल्कि दसवें नंबर पर है। हुड्डा सरकार पर
असंतुलित विकास का आरोप लगाते हुए मनोहर सरकार ने दावा किया कि पिछली सरकार
न तो राजस्व घाटा कम कर पाई और न ही निर्माण, रोजगार व कृषि के क्षेत्र
में कोई प्रगति हासिल की। कर्ज को गैर योजनागत बजट की मदों में खर्च कर
हुड्डा सरकार ने ब्याज में 260 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी। श्वेतपत्र के
आंकड़ों के आधार पर हरियाणा की आकस्मिक देनदारियों में करीब 650 प्रतिशत की
बढ़ोतरी हुई है। यह राज्य की कमजोर अर्थव्यवस्था की ओर इशारा कर रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने सोमवार को
हुड्डा सरकार के पिछले दस साल की वित्तीय स्थिति पर 38 पेज का श्वेतपत्र
जारी किया। इसमें प्राइवेट सेक्टर के सूक्ष्म आर्थिक संकेतकों का जिक्र है।
9 मार्च से आरंभ हो रहे विधानसभा के बजट सत्र से पहले श्वेतपत्र का दूसरा
पार्ट जारी होगा, जिसमें पब्लिक सेक्टर से जुड़ी संपूर्ण वित्तीय स्थिति का
खुलासा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें विरासत में जो मिला, उसमें
बेहद खामियां हैं। प्रदेश के विकास की योजनाएं नहीं बनती थीं। जो बनती थी,
उनमें भ्रष्टाचार हुआ। हमारी सरकार पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था
देगी। नंबर वन हरियाणा का खूब ढिंढोरा पीटा गया, लेकिन 8.5 प्रतिशत की औसत
विकास दर (जीएसडीपी) के साथ राज्य दसवें नंबर है। सिक्किम 16.5 प्रतिशत
औसत विकास दर के साथ पहले स्थान पर है। मुख्यमंत्री के अनुसार राजस्व
कलैक्शन में भी अनियमितताएं बरती गई। करीब 20 हजार करोड़ रुपये का राजस्व
संग्रह राज्य कर तथा गैर कर मदों में संभव था, जिसे नहीं जुटाया जा सका।
इससे विकास का मार्ग अवरुद्ध हुआ और संसाधन जुटाने में कमी आई। मनोहर लाल
ने बताया कि राजस्व घाटा 254 प्रतिशत तक बढ़ गया। कर्ज के 30 प्रतिशत
हिस्से को योजनाबद्ध तथा 70 प्रतिशत हिस्से को गैर योजनाबद्ध तरीके से खर्च
किया गया।
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साभार: भास्कर समाचार
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