Thursday, March 19, 2015

अब बीए या एमए से नहीं चलेगा काम, नौकरी चाहिए तो लाओ तकनीकी डिग्री

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महज अकादमिक डिग्री के सहारे सरकारी नौकरी हासिल करने का सपना अब भूल जाइए। बीए, एमए जैसी डिग्रियाें के सहारे कोई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी तो क्या चपरासी भी नहीं बन पाएगा। सरकार की योजना सरकारी सेवाओं के लिए तकनीकी शिक्षा को अनिवार्य बनाने की है। इस योजना के तहत पांच साल बाद बिना किसी हुनर की डिग्री के कोई व्यक्ति सरकारी पद के लिए आवेदन भी नहीं कर पाएगा। दरअसल, नेशनल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के मुताबिक ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के कारण अगले पांच वर्षों में ढांचागत संरचना, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक जैसे क्षेत्रों में 15 करोड़ हुनरमंद लोगों की आवश्यकता होगी। निजी के साथ सरकारी क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में हुनरमंद लोगों की जरूरत होगी। दोनों क्षेत्रों में हुनरमंद लोगों की बड़ी संख्या में जरूरत के मद्देनजर देश भर के सभी प्रशिक्षण संस्थाओं को हाल ही में गठित ‘नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क’ (NSQF) से खुद को संबद्ध करना अनिवार्य कर दिया गया है। खास बात यह है कि एनएसक्यूएफ से जुड़ी डिग्रियां दुनिया के 100 देशों में मान्य होंगी। उल्लेखनीय है कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के कारण हुनरमंद लोगों की व्यापक जरूरत की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए ही नई सरकार ने 24 मंत्रालयों में अलग-अलग चल रहे कौशल विकास के कार्यक्रमों के लिए अलग से मंत्रालय का गठन किया था। महज अकादमिक डिग्रियों के सहारे अब सरकारी सेवा पाना अतीत की बात हो जाएगी। कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा है कि देश में पांच वर्ष बाद सरकारी सेवा के लिए भी तकनीकी से जुड़ी डिग्रियां अनिवार्य बना दी जाएंगी। हालांकि, फिलहाल सरकार का सारा ध्यान ढांचागत संरचना सहित अन्य क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने की है। इस क्रम में देश के सभी संसदीय क्षेत्रों में जल्द ही कौशल विकास से जुड़ी योजनाएं शुरू की जाएंगी। इसके अलावा विश्वविद्यालयों को तकनीकी शिक्षा देने की भी छूट दी गई है। निजी प्रशिक्षण संस्थानों के साथ सरकारी शैक्षणिक संस्थानों को भी अगले तीन वर्ष में एनएसक्यूएफ से खुद को जोड़ना होगा।
एनएसक्यूएफ को 100 देशों ने अपनाया: एनएसक्यूएफ को दुनिया के सौ देशों ने अपनाया है। इन देशों ने भी भविष्य में हुनरमंद लोगों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया है। भारत के भी इस प्रक्रिया को अपनाने के बाद यहां प्रशिक्षित लोगों की डिग्रियां सभी सौ देशों में मान्य होंगी। कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी के अनुसार ‘मेक इन इंडिया’ के कारण भारत में निजी और सरकारी क्षेत्र के स्वरूप में व्यापक परिवर्तन होगा। हमें भविष्य में करोड़ों हुनरमंद लोग चाहिए। इसलिए पूरा ध्यान लोगों को हुनरमंद बनाने पर है। 5 साल बाद सरकारी सेवा के लिए भी तकनीकी शिक्षा की डिग्रियां अनिवार्य होंगी। 
साभार: अमर उजाला समाचार
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