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धनिया तो हर भारतीय रसोई का अभिन्न हिस्सा है। बतौर मसाला और
व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के लिए इसे खूब इस्तेमाल किया जाता है। चाहे धनिया
की हरी ताजा पत्तियों की बात हो या इसके सूखे हुए बीज, इनका इस्तमाल घर घर
में किया जाता है। आधुनिक विज्ञान धनिया के अनेक औषधीय गुणों की पैरवी
करता है और आज हम आपको इससे जुड़े पारंपरिक ज्ञान के बारे में बताने जा रहे
हैं:
- आंखों की जलन: सौंफ, मिश्री व धनिया के बीजों की समान मात्रा लेकर चूर्ण बना कर 6-6 ग्राम प्रतिदिन भोजन के बाद खाने से हाथ पैर की जलन, एसिडिटी, आंखों की जलन, पेशाब में जलन और सिरदर्द दूर होता है।
- गैस से छुटकारा: राजस्थान के काफी हिस्सों में धनिया की चाय स्वास्थय सुधार के हिसाब से दी जाती है। लगभग 2 कप पानी में जीरा, धनिया, चायपत्ती और कुछ मात्रा में सौंफ डालकर करीब 2 मिनिट तक खौलाया जाता है, आवश्यकतानुसार शक्कर और अदरक डाल दिया जाता है। कई बार शक्कर की जगह शहद डालकर इसे और भी स्वादिष्ठ बनाया जाता है। गले की समस्याओं, अपचन और गैस से त्रस्त लोगों को इस चाय का सेवन कराया जाता है।
- नकसीर: हरे ताजे धनिया की पत्तियां लगभग 20 ग्राम और उसमें चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें और रस छान लें। इस रस की दो बूंदे नाक के छिद्रों में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर हल्का-हल्का मलने से नाक से निकलने वाला खून, जिसे नकसीर भी कहा जाता है, तुरंत बंद हो जाती है।
- आंखों से पानी गिरने की समस्या: थोड़ा सा ताजा हरा धनिया कुचल लें, पानी में उबाल कर ठंडा कर लें, मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें और इसकी दो बूंदे आंखों में टपकाएं। इसे आंखों में टपकाने से आंखों में जलन, दर्द और आंख से पानी गिरने की समस्याएं दूर हो जाती हैं।
- मासिक धर्म की समस्याएं: धनिया महिलाओं में मसिक धर्म संबंधी समस्याओं को दूर करता है। अगर मासिक धर्म साधारण से ज्यादा हो, तो आधा लीटर पानी में लगभग 6 ग्राम धनिए के बीज डालकर खौलाएं और इसमें शक्कर डालकर पिएं, फायदा होगा।
- मधुमेह: धनिए को मधुमेह नाशी भी माना जाता है। इसके सेवन से खून में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है। धनिया त्वचा के लिए भी फायदेमंद है।
- मुहांसे: धनिए की पत्तियों को कुचल लिया जाए और इसकी 1 चम्मच मात्रा लेकर चुटकी भर हल्दी का चूर्ण मिलाकर चेहरे पर दिन में कम से कम 2 बार लगाएं। इससे मुहांसों की समस्या दूर होती है और यह ब्लैकहेड्स को भी हटाता है।
- सर्दी और खांसी: पातालकोट के हर्रा का छार गांव के आदिवासी धनिया, जीरा और बच की बराबर मात्रा लेकर काढ़ा बनाते हैं। सर्दी और खांसी से पीड़ित बच्चों को भोजन के बाद यह काढ़ा (10 मि.ली.) दिया जाता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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