Tuesday, March 10, 2015

गेस्ट टीचर्स को हटाने का मामला: कोर्ट ने फिर माँगा जवाब

नोट: इस पोस्ट को सोशल साइट्स पर शेयर/ ईमेल करने के लिए इस पोस्ट के नीचे दिए गए बटन प्रयोग करें। 
हरियाणा सरकार की ओर से 9 फरवरी को नौकरी से निकाले गए 325 गेस्ट टीचर्स की ओर से सरकार का फैसला रद्द करने को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर संतोषजनक जवाब नहीं आने पर प्रमुख शिक्षा सचिव को तलब किया गया है। इस संबंध में कई याचिकाएं दायर हुई थीं और एक मामले में सोमवार तक जवाब देने का निर्देश दिया गया था। हरियाणा
सरकार ने जवाब भी पेश किया, लेकिन इस पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की बेंच संतुष्ट नहीं हुई। गेस्ट टीचर्स ने याचिका में कहा था कि उन्हें हटाना सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दिए आश्वासन का उल्लंघन है। इसी पर नोटिस जारी करते हुए वित्त सचिव शिक्षा व डायरेक्टर सेकेंडरी एजुकेशन से जवाब-तलब किया था। लोकेश और अन्य ने दायर याचिका में कहा था कि उन्हें 2005 में रखा गया था। दिन में एक पीरियड के हिसाब से मानदेय मिलता था। इसी बीच एक मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि बच्चों की पढ़ाई का यह कैसा तरीका है। इस पर सरकार ने शिक्षकों की नियमित भर्ती करने का आश्वासन दिया था। इस वजह से हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2011 के बाद गेस्ट टीचर्स को हटाने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट का ध्यान आकर्षित किया गया कि शिक्षकों की नियमित भर्ती नहीं हो पाई और हाईकोर्ट ने सरकार की मांग पर गेस्ट टीचर्स को 31 दिसंबर 2012 तक नहीं निकालने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने यह भी पूछा था कि गेस्ट टीचर्स को आखिर रखा कैसे गया। याचिका में बताया था कि सरकार ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से उनके अधीन गेस्ट टीचर्स की भर्ती प्रक्रिया पूछी थी। इस पर उन्हें (याचिकाकर्ताओं) को स्पष्टीकरण के लिए बुलाया गया। स्पष्टीकरण में डीईओ को बताया गया कि उन्होंने बकायदा आवेदन किया था और कागजातों की जांच के बाद उन्हें नौकरी पर रखा गया। इसके बाद सही प्रक्रिया के तहत भर्ती हुए गेस्ट टीचर्स को सेवा में रखने का फैसला लिया गया। बाद में गेस्ट टीचर्स को हटाने को लेकर याचिका दायर हुई और इस मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई थी। सुप्रीम कोर्ट में आश्वासन दिया गया कि जिन गेस्ट टीचर्स को सही प्रक्रिया के तहत रखा गया, उन्हें अभी नहीं हटाया जाएगा। याचिका में आरोप लगाया गया था कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आश्वासन दिया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनकी भर्ती की प्रक्रिया सही पाई गई थी, इसके बावजूद उन्हें हटाने को लेकर नौ फरवरी को आदेश जारी कर दिया गया। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट में दिए आश्वासन का उल्लंघन है। लिहाजा, सरकार का यह फैसला रद्द किया जाना चाहिए और सुनवाई तक इस फैसले पर रोक लगाई जाए।

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: अमर उजाला समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE . Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.