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अगर आप सिर्फ आधे घंटे में और पर्सनल लोन से सस्ती दरों पर लोन लेना
चाहते हैं तो आपके पास विकल्प हैं। सबसे कम समय में गोल्ड लोन आपकी
जरूरतों को पूरी कर सकता है। गोल्ड लोन बिना झंझट, बिना किसी दस्तावेजी
प्रक्रिया के मिल जाता है। पर्सनल लोन से सस्ती दर पर लोन पाने के लिए आप
फिक्स्ड डिपॉजिट, जीवन बीमा पॉलिसी और प्रॉपर्टी को गिरवी रख सकते हैं।
बैंक इनके बदले आसानी से लोन उपलबध कराते हैं। साथ ही इसकी ब्याज दरें भी
पर्सनल लोन से सस्ती होती हैं।
गोल्ड के बदले लोन: शायद ही कोई भारतीय परिवार होगा जिसे गोल्ड से लगाव न हो। अगर घर में
गोल्ड है तो आप इसके बदले तत्काल कर्ज ले सकते हैं। इसके दो कारण हैं।
एक तो इसकी प्रोसेसिंग में वक्त नहीं लगता, मतलब सोने के बदले आपको आधे
घंटे के भीतर कर्ज मिल सकता है। इसकी ब्याज दरें भी कम हैं। आम तौर पर
सोने के बदले लिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें 12-26 फीसदी के बीच होती
हैं। इसके लिए न तो सैलरी स्लिप की जरूरत होती है और न क्रेडिट रिकॉर्ड की।
बैंक गोल्ड लोन की प्रोसेसिंग में कुछ घंटे लगाते हैं जबकि एनबीएफसी कुछ
मिनटों में ही लोन देने की प्रक्रिया पूरी कर डालते हैं।
कहां से लें गोल्ड लोन: ज्यादातर बड़े बैंक और कुछ एनबीएफसी जैसे मूथूत फाइनेंस, मण्णपुरम
गोल्ड आदि सोने के बदले लोन उपलब्ध कराते हैं। बैंकों की ब्याज दरें
अपेक्षाकृत कम होती हैं। इस लोन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें नियमित
रूप से मासिक किस्तों का भुगतान करना जरूरी नहीं होता है। आप चाहें तो
जितनी अवधि के लिए लोन लिया है उतनी अवधि तक ब्याज का भुगतान करते रहें और
अवधि समाप्त होने पर पूरे पैसे चुका कर अपना गोल्ड वापस ले लें।
फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले कर्ज: पैसों की जरूरत पडऩे पर यह विकल्प गोल्ड लोन के बाद सबसे जल्द और
आसानी से लोन उपलब्ध कराता है। इसके लिए जरूरी है कि आपका फिक्स्ड डिपॉजिट
कम से कम एक साल का हो। आम तौर पर इसकी ब्याज दरें फिक्स्ड डिपॉजिट की जमा
दर की तुलना में एक या दो फीसदी अधिक होती हैं। इसकी प्रोसेसिंग की अवधि
बैंकों पर निर्भर करती है लेकिन अधिकतर मामलों में दो से तीन दिनों में
इसकी प्रोसेसिंग हो जाती है। ब्याज की गणना कर्ज की राशि पर ही किया जाता
है। आम तौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट की कुल राशि के 80 प्रतिशत तक का कर्ज मिल
सकता है। इसका पुनर्भुगतान फिक्स्ड डिपॉजिट की अवधि के दौरान ही करना होता
है।
जीवन बीमा पॉलिसी के विरुद्ध लोन: ट्रेडिशनल लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी या एंडोमेंट पॉलिसी पैसों की जरूरत
के समय अहम भूमिका निभा सकती है। एंडोमेंट पॉलिसियों के विरुद्ध मिलने
वाला कर्ज सिक्योर्ड लोन की श्रेणी में आता है और यही वजह है कि इसकी ब्याज
दरें पर्सनल लोन की तुलना में कम होती है और बेस रेट से लगभग तीन फीसदी
अधिक होती हैं। एंडोमेंट पॉलिसियों के बदले मिलने वाले कर्ज की राशि पॉलिसी के सरेंडर
वैल्यू पर निर्भर करती है। इसके लिए पॉलिसी को बैंक के नाम असाइन करना
होता है। अगर कर्ज लेने वाला व्यक्ति लोन का भुगतान समय पर कर देता है तो
बैंक वापस उस व्यक्ति के नाम पॉलिसी को री-असाइन कर देता है। अगर बकाया
राशि और ब्याज सरेंडर वैल्यू के बराबर हो जाती है तो पॉलिसी फोरक्लोज कर दी
जाती है। जिसका मतलब हुआ कि पॉलिसी को सरेंडर करते हुए बैंक ने अपने कर्ज
की वसूली कर ली। इसकी प्रोसेसिंग में आम तौर पर दो-चार दिनों का वक्त लग
जाता है।
प्रॉपर्टी के बदले लोन: लोन की राशि गिरवी रखी जाने वाली प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य और कर्ज
लेने वाले व्यक्ति की आय पर निर्भर करता है। प्रॉपर्टी के बदले दिया जाने
वाला लोन सिक्योर्ड लोन की श्रेणी में आता है और यही वजह है कि इसकी ब्याज
दरें पर्सनल लोन की तुलना में कम होती है। इसकी ब्याज दरें 12-16 प्रतिशत
के बीच होती है। प्रॉपर्टी को गिरवी रख कर लिए गए लोन का उपयोग कारोबार को
बढ़ाने, बच्चों की शादी या उनकी उच्च शिक्षा, मेडिकल खर्च आदि के लिए किया
जा सकता है। प्रॉपर्टी जो गिरवी रखी जा सकती है उसमें किराए पर दिया गया
घर, अपना घर और जमीन शामिल है। हालांकि, बैंक प्रॉपर्टी के बदले लोन देने
से पहले आपकी कर्ज चुकाने की क्षमता और पुराना ट्रैक रिकॉर्ड खंगालते हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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