Thursday, March 19, 2015

एचटेट: भाषा विषयों का पैटर्न बदलने से आवेदक परेशान

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भाषायी विषयों में बीएड उत्तीर्ण कर टीचर बनने का ख्वाब संजोए प्रदेशभर के हजारों युवकों को शिक्षा विभाग ने झटका दिया है। इस बार भाषीय विषय में कक्षा 6 से 8वीं तक टीजीटी के लिए आवेदन करने वाले प्रदेशभर के भाषायी आवेदनकर्ताओं को अपने विषय से हटकर मैथ व साइंस का एग्जाम देना होगा, जबकि यह कक्षा में पढ़ाएंगे हिंदी, संस्कृत, उर्दू या पंजाबी। ऐसे में शिक्षा विभाग के फैसले का क्या औचित्य है, आवेदकों को समझ नहीं आ रहा है। इस फैसले से प्रदेशभर के पीजीटी के लिए आवेदन करने वाले युवा सकते में हैं। दरअसल
हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा 150 नंबरों की होती है। इसमें हर विषय की परीक्षा ली जाती है। परीक्षा को चार खंडों में विभाजित किया गया है। इसके पहले पार्ट में 30 नंबर का बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र (अनिवार्य), 30 नंबर की इंग्लिश (अनिवार्य), 30 नंबर की हिंदी, संस्कृत, पंजाबी व उर्दू विषय की परीक्षा ( कोई एक) व चौथा पार्ट मैथ और साइंस, सोइस साइंस सहित हर विषय का होता है। यानि जिसका जो भी सब्जेक्ट है, उसे उसका पेपर 60 नंबर का करना होता था। इसमें हिंदी के आवेदकों के लिए यह सुविधा नहीं थी। इस तरह विषय का अलग से 60 नंबर का पेपर लेकर उस विषय में उसकी योग्यता का आकलन कर लिया जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब हिंदी, पंजाबी, संस्कृत और उर्दू, होम साइंस और फिजिकल एजुकेशन के से संबंधित आवेदकों को साइंस या मैथ विषय को ही चयन करना होगा। मतलब एकदम साफ है, अब उन्हें अपने विषय से हटकर 60 नंबर को एग्जाम मैथ या सांइस विषय का देना होगा।
बीएड के टीचर केवल पढ़ाते हैं अपना विषय: ध्यान रहे कि प्रदेशभर में बीएड के टीचर केवल अपना ही विषय पढ़ाते हैं। वह भी कंबिनेशन के तहत। जैसे मैथ का टीचर साइंस पढ़ा सकता है और संस्कृत टीचर हिंदी, इंग्लिश अध्यापक सामाजिक, लेकिन हिंदी, संस्कृत, उर्दू व पंजाबी विषय के अध्यापक केवल और केवल अपनी भाषा को ही पढ़ाते हैं। ऐसे में अपने विषय से हटकर उन्हें मैथ और साइंस की परीक्षा देने के पीछे क्या औचित्य है, यह तो सरकार ही जानती है। आरटीआई एक्टिविस्ट सुमन लता अनुसार मैं हिंदी विषय के आवेदकों के लिए अलग से अपने विषय का 60 नंबर का पेपर कराने की मांग के लिए 3 साल से लड़ाई लड़ रही हूं। इसी लड़ाई के तहत मैंने इस बार सीएम विंडो पर हिंदी विषय का अलग से संस्कृत, उर्दू और पंजाबी की तरह 60 नंबर का पेपर लिए जाने की गुहार लगाई थी। लेकिन सीएम विंडो से एमएमओएफएफ /एन/2015/00505 के तहत जवाब मिला कि अब हिंदी के साथ-साथ संस्कृत, पंजाबी, उर्दू, होम साइंस और फिजिकल एजुकेशन के आवेदकों को अपने विषय से हटकर मैथ या साइंस विषय का पेपर देना होगा। इससे आवेदकों के सामने समस्या खड़ी हो जाएगी, चूंकि भाषायी अध्यापकों का मैथ या साइंस विषय से संबंध ही नहीं है। हरियाणा बोर्ड भिवानी के सहायक निदेशक शैक्षिक पक्ष, अनिल गौड़ मुझे फिलहाल इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है। जैसे ही जानकारी उपलब्ध होगी आपको इस बारे में पर्याप्त जानकारी दे दी जाएगी। वैसे मेरी संज्ञान में अभी तक ऐसा मामला नहीं आया है।
ऐसे हुआ खुलासा: असमंजस में फंसे भाषायी अध्यापक हिन्दी, संस्कृत, पंजाबी और उर्दू विषय के आवेदक, फिजिकल एजुकेशन और होम साइंस के आवेदकों को भी विषय से हटकर देना होगा मैथ और साइंस का पेपर
दरअसल करनाल की सेक्टर 32 की रहने वाली सुमन लता ने सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज कर संस्कृत, पंजाबी व उर्दू विषय की तरह हिंदी भाषा के आवेदकों के लिए अलग से 60 नंबरों का हिंदी का पेपर लिए जाने की मांग रखी थी। अभी तक जितनी बार भी लेवल दो के लिए एचटेट की परीक्षा हुई है उसमें हिंदी को छोड़कर सभी भाषाओं का अलग से 60 नंबर का पेपर होता था। लेकिन सीएम विंडो से जब इस विषय में जवाब मिला तो उसका जवाब चौंकाने वाला था। जवाब मिला कि अब हिंदी के साथ-साथ पंजाबी, संस्कृत और उर्दू विषय के साथ होम साइंस व फिजिकल के आवेदकों को भी चौथे पेपर में साइंस या गणित विषय को चुनना पड़ेगा। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: अमर उजाला समाचार
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