Thursday, March 12, 2015

शिक्षा अधिकार अधिनियम नौंवी कक्षा के लिए होगा खतरनाक

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शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत आठवीं कक्षा तक फेल करने का प्रावधान नहीं है। इसलिए विद्यार्थी ये न सोचें कि पढ़ने की जरुरत नहीं हैं। यह कानून नौवीं कक्षा के बाद कष्टदायक साबित हो सकता है। इस बार आठवीं कक्षा तक वार्षिक परीक्षा हो रही है। यदि आठवीं में किसी विद्यार्थी का परिणाम अच्छा नहीं आया तो इसका खामियाजा नौवीं कक्षा
में भुगतना पड़ेगा। ऐसे विद्यार्थियों को नौवीं कक्षा में पास नहीं किया जाएगा। आरटीई के तहत बच्चों का फेल नहीं किया जा सकता। इसलिए विभाग ने परीक्षा बंद कर दी थी। इस बार विभाग ने स्कूलों में मासिक परीक्षा शुरू की है। इसके अलावा इसी महीने वर्ष की अंतिम परीक्षा है। पहले शिक्षक असमंजस में थे कि इस परीक्षा को वार्षिक मानें या मासिक। मगर अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह परीक्षा वार्षिक है। परीक्षा का परिणाम भी जारी किया जाएगा। मगर किसी को फेल नहीं किया जाएगा। उसकी बजाय ग्रेडिंग दी जाएगी। विद्यार्थियों को परिणाम के आधार पर ए, बी, सी व डी, चार श्रेणियों में रखा जाएगा। ए व बी श्रेणी में अच्छे परिणाम वाले बच्चों को रखा जाएगा। सी श्रेणी को पास माना जाएगा। डी श्रेणी में उन बच्चों को रखा जाएगा जो फेल के समान होंगे। हालांकि इन्हें पास कर दिया जाएगा। लेकिन नौवीं कक्षा में अपनी डी ग्रेडेशन खत्म करनी होगी। उसे कम से कम सी ग्रेड में आना होगा। अन्यथा नौवीं कक्षा में फेल कर दिया जाएगा। विभाग डी श्रेणी को कंपार्टमेंट की तरह रखेगा। जैसे कंपार्टमेंट खत्म करना जरूरी है, उसी तरह डी ग्रेड भी हटानी होगी। 
परीक्षा सही, तरीका गलत: वार्षिक परीक्षा की आलोचना भी शुरू हो गई। राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ का कहना है कि परीक्षा लेना सही है, लेकिन तरीके गलत हैं। एक स्कूल के पूरे स्टाफ को दूसरे स्कूल में भेजने का कोई औचित्य नहीं है। क्योंकि दूसरे स्कूल के शिक्षकों को देखकर बच्चे घबराहट महसूस करते हैं। वे परीक्षा ढंग से नहीं पाएंगे। इसके अलावा इसे परीक्षा नाम देना भी गलत है। इससे बच्चों में हौवा पैदा होता है, जबकि फेल करने का प्रावधान नहीं है। 
अच्छे परिणाम आएंगे: जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी डॉ. यज्ञदत्त वर्मा का कहना है कि इस परीक्षा से अच्छे नतीजे आएंगे। डी श्रेणी के विद्यार्थियों को नौवीं कक्षा में जिम्मेदारी का भी अहसास होगा। बच्चे डी ग्रेड से बचने के लिए आठवीं में मेहनत करेंगे। शिक्षकों को भी पता चलेगा कि उनके विद्यार्थी कितने काबिल हैं। यदि शिक्षकों ने कोई अच्छा सुझाव दिया तो उस पर भी विचार किया जाएगा। 
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साभार: जागरण समाचार
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