हरियाणा के अनुदान प्राप्त (एडिड) स्कूलों को सरकार के अधीन करने को लेकर अफसरशाही में टकराव के हालात बन गए हैं। एडिड स्कूलों के दबाव के कारण मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी उन्हें सरकार के अधीन
करने का भरोसा दिला रहे हैं, जबकि शिक्षा विभाग के अफसर उन्हें किसी तरह के लारे में नहीं रखना चाहते हैं। शिक्षा विभाग ने एडिड स्कूलों में स्वीकृत पदों पर कार्यरत शिक्षकों तथा कर्मचारियों को ही सरकार के अधीन लाने का संकेत दिया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। एडिड स्कूलों के सरकार के अधीन नहीं होने की स्थिति में इन स्कूलों में पढ़ने वाले करीब डेढ़ लाख बच्चों का भविष्य दांव पर लग सकता है। उन्हें मिलने वाला मिड डे मिल बंद हो जाएगा और अभिभावकों को अपनी जेब से बच्चों की अधिक फीस का भुगतान करना पड़ेगा। इसके अलावा अस्वीकृत पदों पर काम करने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों के भविष्य पर भी संकट के बादल छाए रहेंगे।
प्रदेश में 240 अनुदान प्राप्त स्कूल हैं, जिनमें दो हजार शिक्षक व कर्मचारी स्वीकृत पदों पर और पांच हजार कर्मचारी अस्वीकृत पदों पर कार्य कर रहे हैं। स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ने की वजह से प्रबंध समितियों ने यह नियुक्तियां की थी। इन स्कूलों का संचालन सामाजिक संस्थाओं और प्रबंध समितियों के अधीन होता है। एडिड स्कूलों को 75 फीसद अनुदान सरकार की तरफ से दिया जाता है और 25 फीसद खर्च प्रबंध समितियों को खुद उठाना पड़ता है। इसके अलावा स्वीकृत पदों पर कार्य करने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन की 95 फीसद राशि सरकार देती है।
आर्थिक तंगहाली के चलते राज्य में करीब 40 स्कूल बंद हो चुके हैं। बाकी बचे 200 स्कूलों ने सरकार पर उन्हें अपने अधीन किए जाने का दबाव बना रखा है। पिछली हुड्डा सरकार में भी इन स्कूलों को सरकार के अधीन किए जाने का भरोसा दिलाया गया था, मगर अफसरशाही के कारण मामला लटक गया था। अब एक बार फिर स्कूलों के दबाव के बाद सरकार इन स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों का ब्योरा जुटाने पर राजी हो गई है। हालांकि अस्वीकृत पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों के बारे में अभी कोई कार्य योजना तैयार नहीं की गई है।
दरअसल, सरकार खुद आर्थिक रूप से कमजोर स्कूलों को निजी सेक्टर के हवाले करने की कार्य योजना तैयार कर रही है। फरीदाबाद में यह प्रयोग चल भी रहा है। वहां उद्योग मंत्री विपुल गोयल के नेतृत्व वाले ट्रस्ट ने कुछ स्कूलों के संचालन का जिम्मा संभाला हुआ है। सरकार को लग रहा कि 200 एडिड स्कूलों को एकदम से अपने अधीन कर लिया गया तो बोझ बढ़ जाएगा। ऐसे में इन स्कूलों में स्वीकृत पदों पर काम करने वाले स्टाफ को पहले अपने अधीन किया जाए।
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साभार: जागरण समाचार
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