Tuesday, January 31, 2017

मैनेजमेंट: जीत के लिए जिम्मेदारी और हक का फर्क समझें

मैनेजमेंट फंडा (एन. रघुरामन)
बीते रविवार को पिछले चार साल में पहली बार मुझे 5.45 की फ्लाइट से ट्रेवल करने की लग्ज़री मिली। हालांकि मुझे यह ज्यादा पसंद नहीं आई, क्योंकि उसी दिन मेरे फेवरेट टेनिस स्टार रोजर फेडरर अपने स्पेनिश
प्रतिस्पर्धी राफेल नडाल के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न पार्क में अपनी ताकत साबित कर रहे थे। बेस्ट ऑफ फाइव कॉन्टेस्ट में वे पहला सेट जीत चुके थे और जब मैं घर से निकला तो वे दूसरा सेट हार रहे थे। एयरपोर्ट पर मुझे फोन पर अपडेट मिला कि वे दूसरा सेट हार गए हैं। इसने मुझे दुखी कर दिया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसके बाद मैं एयपोर्ट की प्रक्रियाओं में लग गया। पहली सुरक्षा जांच, लगेज और बोर्डिंग पास काउंटर, इसके बाद फिर सुरक्षा जांच। फिर लाउंज में पहुंचा और जब फिर मैच देखा, तब फोन पर अपडेट आया कि फेडरर ने मैच में वापसी कर ली है और तीसरा सेट उनके खाते में गया। इसके बाद मुझे उम्मीद बंधी कि 3.70 लाख डॉलर का यह कप 35 साल की उम्र में ये खिलाड़ी जीत सकता है। वह भी स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद। 
फेडरर और लेफ्ट-हैंडर नडाल अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे थे, जबकि मेरे जैसे खेल प्रेमियों के दिल की धड़कनें रोलर कोस्टर राइड पर सवार थी। नडाल भी अभी चोट से उबरे हैं। मैंने देखा कि अलग-अलग एयरलाइंस के काउंटर्स पर अधिकतर अन्य यात्री भी ऐसा ही अनुभव कर रहे थे। इन्हें किसी भी तरह जल्द से जल्द टीवी स्क्रीन्स के सामने पहुंचने की चिंता थी। कुछ मिनट में मैं समझ गया कि ये सभी सच्चे खेल प्रेमी थे। सभी जल्दी में थे, लेकिन अपने व्यवहार से जल्दबाजी दिखा नहीं रहा थे। एयरपोर्ट के सारे नियमों का वे पालन कर रहे थे, किसी ने भी कतार नहीं तोड़ी थी और ही किसी ने फेवर मांगा था। यही इस खेल और इसे पसंद करने वाले लोगों की खूबी है, जिसे टेनिस कहा जाता है। लेकिन जेंटलमैन गेम का यह व्यवहार अंतिम सुरक्षा जांच पर ढहने लगा, क्योंकि चार बज रहे थे और यह शिफ्ट बदलने का समय था। मुंबई के विशाल एयरपोर्ट पर सपोर्ट स्टाफ के कर्मचारी अपनी शिफ्ट शुरू करने के लिए रहे थे या अपनी शिफ्ट खत्म कर लौट रहे थे। यात्रियों ने सोचा कि इन सभी कर्मचारियों को पहले जाने देना चाहिए। 
एक ऑस्ट्रेलियन उसी समय पुलिस के सामने गया और उसने इन सभी कर्मचारियों को सिक्योरिटी क्लीयरेंस लेने से रोक दिया। कहा कि इन कर्मचारियों के पास एयरपोर्ट सिक्योरिटी पास होने का यह मतलब नहीं है कि उन्हें सिक्योरिटी क्लीयरेंस में प्राथमिकता मिले, जबकि मेरे जैसे अंतरराष्ट्रीय यात्री कतार में खड़े हैं। उसने अपना सवाल इतनी विनम्रता से रखा था कि पुलिसकर्मी के पास एयरपोर्ट के सभी कर्मचारियों को पीछे हटाकर यात्रियों को पहले जाने देने के अलावा कोई चारा नहीं था। अपने क्लीयरेंस के बाद भी ऑस्ट्रेलियन यात्री सिक्योरिटी गेट पर बहुत देर तक खड़ा रहा ताकि देख सके कि सारे कर्मचारी उनके साथ जाएं। इन यात्रियों में मैं भी शामिल था। इसके बाद हम सभी लाउंज में जमा हुए और साथ में चाय पीते हुए चौथा सेट देखा, जिसमें फेडरर हार गए। उसी समय हाउसकीपिंग स्टाफ का एक कर्मचारी सफाई के लिए वहां दाखिल हुआ। यह वही व्यक्ति था, जिसे ऑस्ट्रेलियन ने सिक्योरिटी गेट पर रोक दिया था। उन्होंने उसे बुलाया और दस मिनट तक समझाते रहे कि अधिकार और कर्मचारी की जिम्मेदारी में क्या फर्क होता है, जो हमेशा यात्री की खुशी के लिए काम करते हैं। उधर, टीवी स्क्रीन पर फेडरर ने साढ़े चार साल में पहली बार कोई ग्रेंड स्लेम जीता। ऑस्ट्रेलियन यात्री ने सिर्फ पूरे स्टाफ का दिल जीता, बल्कि सारे यात्री भी उससे प्रभावित थे, जो वहां मैच देखने के लिए जमा हुए थे। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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