देशभर में भले ही स्वच्छ भारत का गीत सुनाई देता हो लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट दुर्दशा का शिकार है। यहां भीतर प्रवेश करते ही सिगरेट के टुकड़े और उखड़ी हुई टाइल्स के बीच गंदगी पसरी दिखती है। यह हाल तब है जब यहां हर साल 4 करोड़ रुपए से ज्यादा (आरटीआई के तहत दी गई जानकारी)
मेंटेनेंस के नाम पर खर्च हो रहे हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हकीकत यह है कि यहां नल उखड़े हुए हैं और टॉयलेट भी गंदे हैं। ये तस्वीर सिर्फ एक बार की नहीं है बल्कि तीन साल में अलग-अलग समय पर राजघाट की ऐसी ही तस्वीर मिली है। भोपाल के गांधीवादी चिंतक श्यामनारायण चौकसे ने राजघाट की दुर्दशा सुधारने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। 6 बार सुनवाई भी हो चुकी है। चौकसे कहते हैं कि जब तक राजघाट की व्यवस्था नहीं बदलेगी, तब तक वे कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे। चौकसे हर साल तीन दफा राजघाट जाते हैं। हर बार तस्वीरें खींचते हैं और कोर्ट में पेश करते हैं। ये वही चौकसे हैं जिन्होंने 11 साल की लंबी लड़ाई के बाद सिनेमाहाल में फिल्म शुरू करने से पहले राष्ट्रगान बजाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब देश भर के सिनेमालहाल में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान शुरू होता है। 77 साल के इस गांधीवादी की जिद है कि राजघाट गांधी के सपनों की तरह ही होना चाहिए।
वे कहते हैं, बापू कहते थे कि स्वतंत्रता से ज्यादा अहम स्वच्छता है। बापू के इसी मूल मंत्र पर मोदी सरकार ने देश में स्वच्छता अभियान चलाया लेकिन स्वच्छता के नाम पर दिखावा ज्यादा हो रहा है काम कम।
यदि ऐसा नहीं है तो फिर क्या वजह है कि राष्ट्रपिता की समाधि के पास ही गंदगी का आलम है। बार-बार शिकायत के बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वो भी तब जब हर साल इसके रखरखाव के लिए 4 करोड़ रुपए मिल रहे हैं। चौकसे ने याचिका में समाधि के पास दानपत्र रखे जाने पर भी आपत्ति पेश की है। उन्होंने याचिका में कहा है कि राष्ट्रपिता की समाधि के पास दानपात्र रखा जाना अशोभनीय है। यह गांधीजी की गरिमा उनके मूल्यों के विपरीत है। यदि कोई आर्थिक सहयोग करना चाहता है तो वह कार्यालय में आकर दे उसकी रसीद प्राप्त करे। यह हाल तब है जब राजघाट समाधि समिति में कई सांसद और समाजसेवी हैं। समाधि समिति में 11 सदस्य हैं। इनमें राज्यसभा सांसद डॉ. करन सिंह, लोकसभा सांसद डॉ. उदित राज, महेश गिरी सहित समाजसेवी व् वरिष्ठ अधिकारी हैं। चौकसे कहते हैं कि इन लोगों से मिलना मुश्किल है। वे तो कभी आते नहीं है।
याचिकामें बताई है ऐसी हालत:
- परिक्रमा पथ की टाइल्स उखड़ी हुई है।
- मेन गेट के पास ही सिगरेट के टुकड़े कचरा।
- राष्ट्राध्यक्षों द्वारा समाधि के पास किए गए वृक्षारोपण में नाम पटिटकाएं बदरंग हैं।
- टॉयलेट्स में फ्लश टूटे हैं, गंदगी है।
- वॉश बेसिन के लगभग सभी नल क्षतिग्रस्त हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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