अपने आपसी रिश्तों को नया आयाम देते हुए भारत और संयुक्त अरब अमीरात एक-दूसरे के और करीब आ गए हैं। इसके तहत दोनों देश रणनीतिक सहयोगी बन गए हैं। इसके साथ ही यूएई भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिहाज से तेल की आपूर्ति भी बढ़ाएगा। वह मंगलोर स्थित कच्चे तेल भंडार का आधा हिस्सा भरने के लिए राजी
हो गया है। दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत अबू धाबी नेशनल ऑयल कारपोरेशन 60 लाख बैरल कच्चे तेल का मंगलोर में भंडारण करेगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिहाज से यूएई बीते सालों में बड़ा साझीदार बनकर उभरा है। 2015-16 में भारत को तेल निर्यात करने वाले देशों में यह पांचवें नंबर पर था।
बुधवार को दोनों देशों के बीच 14 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। क्राउन प्रिंस शेख मुहम्मद बिन जायद अल नाहयान की अगुआई में जो समझौते हुए हैं, उससे साफ है कि अब दोनों देश मजबूत साङोदार बनेंगे। क्राउन प्रिंस इस बार गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि हैं। बुधवार को क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इनमें रक्षा, सुरक्षा से लेकर व्यापार और समुद्री क्षेत्र तक शामिल हैं।
75 अरब डॉलर निवेश पर समझौता नहीं: बुधवार को जो समझौते हुए हैं, उनमें यूएई की तरफ से भारत में किए जाने वाले 75 अरब डॉलर के निवेश से संबंधित कोई समझौता नहीं है। इस बारे में सहमति मोदी की यूएई यात्र के दौरान बनी थी। विदेश मंत्रलय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक दिन पहले ही कहा था कि इस बार निवेश समझौता हो जाएगा। लेकिन, विदेश मंत्रलय के सूत्रों का कहना है कि यूएई अपने वादे के मुताबिक 75 अरब डॉलर भारत के ढांचागत क्षेत्र में लगाने को तैयार है। लेकिन, अभी उन परियोजनाओं का फैसला नहीं हो सका है जहां यह निवेश होगा।
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साभार: जागरण समाचार
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