हरियाणा में जाटों सहित 6 जातियों को दिए गए आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका में मंगलवार को उस समय नया मोड़ आ गया जब कुछ याचियों ने बेंच बदलने की अपील की। याची यादव महासभा और मुरारी लाल गुप्ता ने बेंच के दोनों जजों के जटसिख होने की बात कहते हुए मामले को अन्य बेंच को रेफर करने की बात
कही। इस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि मौखिक अपील पर कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा। इसके लिए अर्जी दाखिल की जाए। अर्जी पर सुनवाई करके ही उचित आदेश जारी होंगे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मंगलवार को मामले की सुनवाई आरंभ होते ही यादव महासभा की ओर से एडवोकेट पीआर यादव ने कहा कि उनका केस किसी अन्य बेंच को रेफर किया जाए। यादव ने कहा कि इस खंडपीठ के दोनों जज जटसिख हैं और वे इस मामले को नहीं सुन सकते।
जस्टिस एसएस सरों और जस्टिस लीजा गिल की खंडपीठ ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आरक्षण पर रोक लगाने वाली भी यही बेंच थी। अब जब इस मामले की सुनवाई पूरी होने वाली है, उस समय बेंच बदलने की मांग समझ से परे है। साथ ही पूछा कि क्यों न आरक्षण से रोक हटाकर इसे दूसरी बेंच को भेज दें। इसके बाद कोर्ट ने याची को अर्जी दाखिल करने के निर्देश दिए।
इस पर हरियाणा सरकार ने कहा कि पहले ही 6 माह से आरक्षण पर रोक जारी है और अब इस प्रकार की अर्जी दाखिल करना सीधे तौर पर रोक को जारी रखने का प्रयास है। इस दौरान कुम्हार महासभा व अन्य याचियों ने कहा कि उन्हें बेंच पर भरोसा है और वे दलीलें जारी रखना चाहते हैं। इस पर हाईकोर्ट ने दलीलें जारी रखने की छूट दी। सीनियर एडवोकेट वीके जिंदल ने नेशनल ज्यूडिशियल कमीशन मामले का हवाला देते हुए कहा कि हरियाणा विधानसभा ने जो एक्ट पास किया है वह पूरी तरह से असंवैधानिक है। विधानसभा में एक्ट को लाने से पहले जो अनिवार्य प्रावधान थे उनकी पालना नहीं की गई। याची पक्ष की दलीलें पूरी न होने पर हाई कोर्ट ने सुनवाई को 24 जनवरी तक के लिए टाल दिया।
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साभार: जागरण समाचार
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