एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
जब मैंने यह समस्या कुछ लोगों को बताई तो मुझे एक दोस्त का ई-मेल मिला, जो इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था। उसने मेरा परिचय एक एप सोक्रेटिक से कराया, जो रवि जैसे बच्चों के लिए सवाल हल करता है, वह भी मुफ्त में। उसे एप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। जाहिर है कि यह लंबे समय से मौजूद रहा है और उसे भाषा, सामाजिक विज्ञान से विज्ञान तक बहुत से विषयों के लिए बनाया गया था लेकिन, हाल में उसकी गणितीय क्षमताओं को बढ़ाया गया है। छात्र को केवल सवाल का छपा हुआ या हाथ से बना चित्र एप में फीड करना है और फिर वह हल करने के लिए आगे बढ़ सकता है। एप तो यह भी पूछता है कि कई सवालों में से किसे क्रॉप करके उसका समाधान करना है। हालांकि, यह सिर्फ सही उत्तर नहीं दिखाएगा। सोक्रेटिक सिखाने के लिए सही विधियों का प्रयोग करेगा। इसे बनाने के लिए सोक्रेटिक के शिक्षाशास्त्रियों की टीम ने गणित के असंख्य सवालों पर गौर किया। ऐसे सवाल जिन्हें छात्रों ने बार-बार पूछा था। फिर उन्हें सुलझाने में लगने वाली स्टेप्स के आधार पर उन्हें वर्गीकृत किया फिर उन्होंने उच्च गुणवत्ता के व्याख्याकारों से उन अवधारणाओं के बारे में सलाह ली और फिर रवि जैसे हाई स्कूल के हजारों विद्यार्थियों पर उनका परीक्षण किया। आईटी इंजीनियरों ने कड़ी मेहनत कर एप के स्टेप्स इस तरह से बनाए हैं कि वे कक्षा में पढ़ाने वाले किसी गणित शिक्षक से मिलते-जुलते हों। जोर इस बात पर है कि छात्र उनकी गणितीय समस्याओं को छोटी स्टेप्स में कैसे तोड़ सकते हैं ताकि उनमें आत्मविश्वास पैदा हो अौर भविष्य में इसी तरह के सवाल वे खुद हल कर सकें। एप स्टोर का दावा है कि वह किसी शिक्षक जैसा अनुभव देता है। फर्क सिर्फ इतना है कि यह नि:शुल्क और आपके फोन पर है।
फंडा यह है कि एप ने यह विचार दिया है कि सरलता से हल करने के लिए बड़ी समस्याओं को छोटे चरणों प्रक्रियाओं में बांटने की जरूरत है।
आपका स्कूल अत्याधुनिक हो सकता है या एकदम आधारभूत ढंग का। वे छपा हुआ होमवर्क देते हैं या ब्लैकबोर्ड से उसे उतारना होता है। आखिरकार आपको ही वे कठिन गणितीय समस्याएं वीकेंड में हल करनी होती हैं। यदि
आपको गणित हल करने की विधि मालूम है तो आपको खेलने के लिए अधिक वक्त मिलेगा। यदि विधि मालूम नहीं है और पालकों या ट्यूशन टीचर से पूछने में भी घबराते हैं तो तय है कि आपको उन्हें हल करने में अधिक वक्त लगेगा। वक्त के साथ आप गणित के शिक्षक से और बाद में गणित विषय से ही नफरत हो जाएगी। फिर वीकेंड भी अच्छा नहीं लगेगा और आखिरकार खुद से ही घृणा हो जाएगी, क्योंकि आप गणित का वह होमवर्क नहीं कर पा रहे हैं, जो आपके अन्य साथी चुटकियों में हल कर देते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ठीक ऐसा 9वीं कक्षा का छात्र 14 वर्षीय रवि महसूस करता था, जो गणित छोड़कर सबकुछ अच्छी तरह करता है। उसे गणित से बहुत नफरत है। उसे गणित की कक्षा में बैठने से ही डर लगने लगा। यह डर इतना हावी हो गया कि इतिहास के टीचर जाने के बाद और गणित शिक्षक के आने के पहले वह कक्षा की सबसे आखिरी बेंच पर जाकर बैठ जाता है। रवि संपन्न मध्यवर्ग परिवार का है और उसके पास वे गैजेट हैं, जिन्हें लाकर पेरेंट्स आजकर अपने बच्चों के प्रति लाड़-प्यार जताते हैं-आई पैठ और स्मार्ट फोन। किंतु किस चीज ने गणित में उसे अंतर्मुखी कर दिया है? मैं जब उसे उसके स्कूल परिसर में मिला तो कुछ ही मिनटों में मुझे यह पता लग गया, क्योंकि उसने गणित हल करने में मदद मांगी और मैंने जाने से पहले उससे वादा किया कि मैं जरूर कुछ करूंगा, क्योंकि मेरे पास तत्काल उस समस्या का कोई समाधान नहीं था। यह लगभग चार माह पहले की बात है। जब मैंने यह समस्या कुछ लोगों को बताई तो मुझे एक दोस्त का ई-मेल मिला, जो इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था। उसने मेरा परिचय एक एप सोक्रेटिक से कराया, जो रवि जैसे बच्चों के लिए सवाल हल करता है, वह भी मुफ्त में। उसे एप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। जाहिर है कि यह लंबे समय से मौजूद रहा है और उसे भाषा, सामाजिक विज्ञान से विज्ञान तक बहुत से विषयों के लिए बनाया गया था लेकिन, हाल में उसकी गणितीय क्षमताओं को बढ़ाया गया है। छात्र को केवल सवाल का छपा हुआ या हाथ से बना चित्र एप में फीड करना है और फिर वह हल करने के लिए आगे बढ़ सकता है। एप तो यह भी पूछता है कि कई सवालों में से किसे क्रॉप करके उसका समाधान करना है। हालांकि, यह सिर्फ सही उत्तर नहीं दिखाएगा। सोक्रेटिक सिखाने के लिए सही विधियों का प्रयोग करेगा। इसे बनाने के लिए सोक्रेटिक के शिक्षाशास्त्रियों की टीम ने गणित के असंख्य सवालों पर गौर किया। ऐसे सवाल जिन्हें छात्रों ने बार-बार पूछा था। फिर उन्हें सुलझाने में लगने वाली स्टेप्स के आधार पर उन्हें वर्गीकृत किया फिर उन्होंने उच्च गुणवत्ता के व्याख्याकारों से उन अवधारणाओं के बारे में सलाह ली और फिर रवि जैसे हाई स्कूल के हजारों विद्यार्थियों पर उनका परीक्षण किया। आईटी इंजीनियरों ने कड़ी मेहनत कर एप के स्टेप्स इस तरह से बनाए हैं कि वे कक्षा में पढ़ाने वाले किसी गणित शिक्षक से मिलते-जुलते हों। जोर इस बात पर है कि छात्र उनकी गणितीय समस्याओं को छोटी स्टेप्स में कैसे तोड़ सकते हैं ताकि उनमें आत्मविश्वास पैदा हो अौर भविष्य में इसी तरह के सवाल वे खुद हल कर सकें। एप स्टोर का दावा है कि वह किसी शिक्षक जैसा अनुभव देता है। फर्क सिर्फ इतना है कि यह नि:शुल्क और आपके फोन पर है।
फंडा यह है कि एप ने यह विचार दिया है कि सरलता से हल करने के लिए बड़ी समस्याओं को छोटे चरणों प्रक्रियाओं में बांटने की जरूरत है।
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साभार: भास्कर समाचार
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