Sunday, January 29, 2017

मैनेजमेंट: वास्तविक समाधान की बजाय मूल आइडिया ज्यादा महत्वपूर्ण

मैनेजमेंट फंडा (एन. रघुरामन)
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की सुकमा तहसील में मौजूद है छोटा-सा गांव बुर्डी। सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन राजमुंद्री भी यहां से 180 किलोमीटर दूर है, जबकि राजधानी रायपुर का फासला तो 386 किलोमीटर है।
माओवादियों द्वारा रास्ते रोकना और लूट-मार करना आम बात है। ये चुनाव के समय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लूटकर पूरी तरह नष्ट कर देते हैं और इस तरह उन इलाकों में अधिकारियों को फिर मतदान कराने पर मजबूर होना पड़ता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सुकमा के सरकारी स्कूल में कक्षा छठी का छात्र रोशन सुरी हमेशा चुनाव ड्यूटी में लगे शिक्षकों की तकलीफें सुनता रहता था। जब वह पांचवीं कक्षा में था तभी से उसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया और उसके शिक्षक तथा पूरी निर्वाचन प्रक्रिया में लगे ढेरों लोगों के कड़े परिश्रम का महत्व समझ में गया था। उसने यह भी देखा कि दूरदराज से लोग आकर लंबे समय तक कतार में खड़े रहकर अपने वोटिंग अधिकार का इस्तेमाल करते। इसमें उनकी उस दिन की कमाई का भी नुकसान हो जाता। यदि फिर से मतदान होता तो उन आदिवासियों को सिर्फ फिर पैसा खर्च करके वहांं आना पड़ता बल्कि दोबारा कमाई खोनी पड़ती। उस कड़े परिश्रम को माओवादी लूटपाट से जो नुकसान पहुंचाते थे, उससे वह बहुत विचलित हो जाता। इससे प्रक्रिया पूरी होने में देरी होती और लागत बढ़ती चली जाती। 
किंतु उसके पालक तो छोटे किसान थे और बाहरी दुनिया से उसका परिचय कभी-कभार अखबारों या टेलीविजन से ही होता था। लेकिन बोया रहवासी स्कूल के छात्र ने निश्चय कर लिया कि वह कोई कोई हल निकालेगा। पिछले साल वह ऐसे सॉफ्टवेयर का विचार लेकर आया, जो ईवीएम से डाले हर वोट को तत्काल पंजीकृत कर शहर या सुरक्षित जगह में मौजूद अधिकारियों तक पहुंचा दे। इस तरह ईवीएम मशीनों को भौतिक रूप से ले जाने की जरूरत ही खत्म हो जाए। इस आइडिया के लिए रोशन को दो माह पहले नई दिल्ली में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रतिष्ठित एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट अवॉर्ड से पुरस्कृत किया। 
बच्चों में रचनात्मकता और मौलिक चिंतन विकसित करने के लिए केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्वायत्त संस्था नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन 17 से कम उम्र के 12वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए मूल प्रौद्योगिकीय विचार और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्पर्द्धा 'इंग्नाइट'आयोजत करता है। 2008 में शुरू हुई इस स्पर्द्धा के तहत पिछले सात वर्षों में 202 बच्चों को 142 अवॉर्ड दिए जा चुके हैं। चयन समिति में वैज्ञानिक और विशेषज्ञ भी होते हैं। इसके पीछे विचार यह है कि भौगोलिक बाध्यताओं के बावजूद उन बच्चों के विचारों का दोहन हो सके, जिनमें इनोवेटिव आइडियाज की कोई कमी नहीं है और जो शहरों में रहने वाले उनके साथियों जितने ही सक्षम हैं। विकसित किए गए मॉडल या उपकरण से मिलने वाली रॉयल्टी पुरस्कृत बच्चे को मिलती है और पेटेंट भी उसके नाम ही दर्ज होता है। 
छत्तीसगढ़ में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के लिए नोडल अधिकारी एम. सुधीश के मुताबिक रोशन राज्य के उन 3 बच्चों में से हैं, जिनके नाम 2016 के 28 पुरस्कृतों में शामिल हैं। छात्रों और शिक्षकों में वैज्ञानिक मनोवृत्ति विकसित करने के लिए शिक्षा विकास कार्यक्रम के अंग के रूप में इस योजना को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने शुरू किया था। यह स्थानीय जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम करता है, जो वास्तविक परिस्थितियों में उन विचारों की प्रभावशीलता की पुष्टि करता है। वह दुनिया जहां नए विचारों का अभाव है, यह पहल ग्रामीण दूरदराज के इलाकों की समस्याएं सुलझाने में कमाल का काम कर रही है खास बात यह है कि इस विशाल देश के युवा उर्वर मस्तिष्क का दोहन करके यह काम हो रहा है। 
फंडा यह है कि आधुनिकविश्व की समस्याओं को सुलझाने के लिए वह सब किया जाना चाहिए जिससे युवा मस्तिष्कों में नए विचारों का अंकुर पैदा हो सके, क्योंकि वास्तविक समाधान होने के पहले आइडिया जन्म लेते हैं। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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