तकनीकी शिक्षा को प्रोत्साहित करने और पाठ्यक्रमों को उद्योगों की मांग के अनुरूप बनाने के लिए नए बहुतकनीकी संस्थानों को औद्योगिक घरानों के सहयोग से चलाया जाएगा। साथ ही निजी तकनीकी संस्थानों में मेधावी गरीब विद्यार्थियों को मुफ्त कोर्स कराया जाएगा। इन विद्यार्थियों की 50 फीसद फीस राज्य सरकार
और शेष राशि संस्थान अपने निगमित सामाजिक दायित्व के तौर पर चुकाएगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को तकनीकी शिक्षा विभाग की बैठक में यह निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नए बहुतकनीकी संस्थानों के लिए नए पद सृजित किए जाएंगे। विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रतिष्ठित औद्योगिक घरानों को समितियां बनाकर इन बहुतकनीकी संस्थानों को संचालित करने के लिए आमंत्रित किया जाए। राज्य सरकार इन संस्थानों के लिए आधारभूत संरचना एवं भवन उपलब्ध कराएगी, वहीं इनका संचालन इन समितियों द्वारा किया जाएगा। समिति का अध्यक्ष औद्योगिक घराने से होगा और पंचायती राज संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए संबंधित जिला परिषदों के प्रधानों को इनका सदस्य बनाया जाएगा।
तकनीकी शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा ने बताया कि प्रदेश में 13 नए बहुतकनीकी संस्थान निर्माणाधीन हैं जिनमें से छह को राज्य सरकार और सात को समितियां संचालित करेंगी। समितियों को सौंपे जाने वाले सात बहुतकनीकी संस्थानों में इंद्री (करनाल), मलाब (नूह), मंडकौला (पलवल), झप्पड़ जिला (भिवानी), नानकपुर (पंचकूला), धामलावास (रेवाड़ी) और पंचकूला शामिल हैं। प्रदेश में इस समय 28 राजकीय बहुतकनीकी संस्थान संचालित हैं जबकि 10 निर्माणाधीन हैं। इसके अलावा चार सरकारी सहायता प्राप्त बहुतकनीकी संस्थान हैं और दो नए राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं। बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी राघवेंद्रा राव, तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अनिल मलिक सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
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साभार: जागरण समाचार
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