Wednesday, December 14, 2016

आरक्षण को अति विशेष परिस्थिति नहीं - हाई कोर्ट

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि प्राथमिक तौर पर हरियाणा में जाटों सहित छह जातियों को दिए गए आरक्षण के लिए अति विशेष परिस्थितियां नजर नहीं आ रही हैं। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए इंदिरा साहनी मामले का हवाला दिया। इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अति विशेष परिस्थितियों में ही
आरक्षण 50 फीसद से अधिक हो सकता है। हाईकोर्ट ने सुझाव दिया कि आरक्षण का मुद्दा क्यों न पिछड़ा वर्ग आयोग के पास भेज दिया जाए? अब हाई कोर्ट ने अगली तारीख 17 दिसंबर दी है। तब तक सभी छह जातियों के आरक्षण पर रोक जारी रहेगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। याचिका के मुताबिक जाटों सहित अन्य जातियों को आरक्षण देने के लिए सरकर के पास कोई आधार नहीं है। केसी गुप्ता आयोग की सिफारिशों के आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता, क्योंकि इसे सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। सरकार ने मंगलवार को याचियों के तर्क के जवाब में कहा कि केसी गुप्ता आयोग की सिफारिशों को राम सिंह मामले में केंद्र सरकार द्वारा ओबीसी सूची में जाटों को दिए गए आरक्षण के संदर्भ में देखा गया था। सरकार ने यह भी कहा कि एनसीबीसी (राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग) ने जाटों को आरक्षण के लिए अयोग्य करार दिया, यह दलील राज्य सरकार के मामले में नहीं लागू होती है। एनसीबीसी की सिफारिश राज्य सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है क्योंकि राज्य में अपना अलग आयोग है। याची एक्ट की वैधता पर सवाल नहीं उठा सकता। यह एक्ट सरकार द्वारा कानूनी प्रक्रिया पूरी कर अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए बनाया गया है। सरकार ने कहा कि याची ने एक्ट को नहीं बल्कि एक्ट में मौजूद सेक्शन 3 को चुनौती दी है। यह चुनौती से ज्यादा शिकायत है, जिसको आयोग के पास भेजा जाना चाहिए।
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साभार: जागरण समाचार 
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