तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा की राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात से चीन भड़क गया है। उसने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उसने भारत की ताकत पर भी सवाल खड़े किए हैं। कहा है, जब चीन के आंतरिक मामलों में दखल देने से पहले अमेरिका को दो बार सोचना होता है तो फिर भारत की क्या बिसात है। चीन के सरकारी
अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि 'दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के तमगे से भारत बेहद उत्साहित है लेकिन कभी-कभी वह बिगड़ैल बच्चे की तरह व्यवहार करता है।' यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उसने कहा है कि भारत के पास महान देश बनने की क्षमता है लेकिन इस देश का विजन अदूरदर्शी है। चीन ने इस मामले में मंगोलिया के प्रकरण का उदाहरण दिया है। मंगोलिया ने दलाईलामा की मेजबानी की थी। लेकिन चीन की धमकी के बाद उसने कहा है कि अब वह कभी भी दलाई लामा को मंगोलिया आने की इजाजत नहीं देगा। ग्लोबल टाइम्स ने कहा, 'ऐसे मुद्दों से निपटने में भारत का रुख एक बार फिर इस देश की आकांक्षा र इसकी ताकत के बीच का अंतर दिखाता है। यह भारत के बूते से बहुत बाहर की बात है कि वह चीन के आंतरिक मुद्दों में दखल देकर चीन के खिलाफ उसका फायदा उठाए। भारत ने चीन के खिलाफ वक्त-बेवक्त दलाई लामा कार्ड का इस्तेमाल किया है।'
कैलाश सत्यार्थी के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे भारत: दलाई लामा 1959 से भारत में शरण लिए हुए हैं। वे हाल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले थे। वे नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के चिल्ड्रंस फाउंडेशन के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। चीन ने जब इसका विरोध किया तो भारत ने उसे खारिज कर दिया था। तब भारत ने कहा था कि दलाई लामा सम्मानित नेता हैं और यह मुलाकात एक गैरराजनीतिक कार्यक्रम के दौरान हुई है।
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साभार: भास्कर समाचार
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