Tuesday, August 16, 2016

ऐसा क्या कहा प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कि नाराज हो गए मुख्य न्यायाधीश

देश में जजों की कमी को लेकर पहले भी अपनी नाराजगी दिखाते रहे भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) जस्टिस टीएस ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस संबोधन पर निराशा जताई है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि डेढ़ घंटे के भाषण में पीएम ने जजों की नियुक्ति का जिक्र नहीं किया। वैसे उनके साथ मंच
पर बैठे कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने साफ कर दिया कि सरकार इस मुद्दे को लेकर संजीदा है। स्वतंत्रता दिवस समारोह का भाषण इसके लिए उचित जगह नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पर जस्टिस ठाकुर को बधाई देते हुए उनके बयान का समर्थन किया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जस्टिस ठाकुर ने कहा, ‘मैं अपने करियर की ऊंचाई पर पहुंच गया हूं, इसलिए बेखौफ होकर सच्चाई बोल सकता हूं। ..उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री जजों की नियुक्ति पर कुछ बोलेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’ बाद में उन्होंने उर्दू में एक शायरी भी पढ़ी। ‘गुल फेंके हैं औरों की तरफ, बल्कि समर भी। ऐ खाना-बर-अंदाज-ए-चमन कुछ तो इधर भी।’ इसका अर्थ कुछ ऐसा है कि दूसरों पर फूल और फल की बारिश करने वालों कभी हमें भी तो कुछ दो।’ उन्होंने तल्ख लहजे में कहा कि जजों की कमी के कारण समय रहते न्याय संभव नहीं हो पा रहा। समारोह में मौजूद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तत्काल साफ कर दिया कि न्यायपालिका को लेकर सरकार की पूरी प्रतिबद्धता है। हम जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने के अंतिम चरण में हैं। न्यायपालिका के साथ मिलकर काम करने का वादा करते हुए उन्होंने कहा कि गुड गवर्नेस के लिए न्यायपालिका का मजबूत होना जरूरी है। न्यायपालिका में 4000 से ज्यादा रिक्तियां हैं, जो चिंताजनक बात है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जजों की नियुक्ति के लिए मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर तैयार किया जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में सरकार और न्यायपालिका के संबंधों में कई बार खटास दिखी है। खुलेआम बयानबाजी भी हुई। कुछ मामलों में सरकार ने संकेत दिया कि न्यायपालिका अपनी सीमा का अतिक्रमण न करे। चीफ जस्टिस ठाकुर की अगुआई वाली बेंच ने कहा था कि जजों की नियुक्ति में रुकावट हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। रुकावट जारी रही तो हमें न्यायिक रूप से दखल देने को मजबूर होना पड़ेगा और कोलेजियम की ओर से भेजी गई सभी फाइलों की जानकारी लेंगे। इससे पहले अप्रैल में जस्टिस ठाकुर विज्ञान भवन में समारोह के दौरान पीएम के सामने ही जजों की कमी की बात कर भावुक हो गए थे। 
उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पर चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर के बयान का समर्थन करते हुए कहा, ‘मैं न्याय के प्रति चिंता को लेकर मुख्य न्यायाधीश के साहस और प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं।’ कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री को मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर ध्यान देना चाहिए। इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।’
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साभारजागरण समाचार 
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