Friday, August 12, 2016

कश्मीर में शांति के लिए केंद्र सरकार का 'हीलिंग टच'

प्रधानमंत्री के एलान के बाद केंद्र सरकार कश्मीर में नए सिरे से ‘हीलिंग टच’ प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में जुट गई है। पिछले डेढ़ दशक में अलग-अलग सरकारों की तरफ से लागू की गई हीलिंग टच प्रक्रिया का भी अध्ययन किया जा रहा है। इस बार आम कश्मीरी और उनके हित सबसे ऊपर होंगे। पूर्व की अटल बिहारी वाजपेयी और
मनमोहन सिंह सरकारों के दौरान लागू की गई हीलिंग टच प्रक्रिया से इस बार की कोशिश इस लिहाज से अलग होगी कि इसमें फिलहाल न तो पाकिस्तान को कोई स्थान मिलेगा और न ही पाकिस्तान परस्त हुर्रियत नेताओं को। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, कश्मीर में पिछले 34 दिनों से जारी हिंसा को खत्म कर वहां शांति बहाली के लिए उठाए जाने वाले कदमों को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। पहला हिस्सा होगा, बातचीत में स्थानीय नागरिकों की चिंताओं को साझा करना। केंद्र की तरफ से भेजे जाने वाले सर्वदलीय समूह की तरफ से यह तो काम होगा ही, केंद्र और राज्य सरकार भी संयुक्त तौर पर इसे अंजाम देंगी। 
पाक को अभी वार्ता का मौका नहीं: अभी तक की हीलिंग टच नीति में पाकिस्तान सरकार और हुर्रियत से वार्ता एक अहम कड़ी होती थी। लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान ने कश्मीर में हालात को भड़काने की कोशिश की है, उसके मद्देनजर भारत किसी भी सूरत में फिलहाल उसे वार्ता के टेबल पर आने का मौका नहीं देना चाहता। हुर्रियत को लेकर भी सरकार फिलहाल बातचीत के पक्ष में नहीं है। हुर्रियत नेता पूरी तरह से पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं। ऐसे में अभी तो उनसे बातचीत का कोई योजना नहीं है। यह संकेत गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बुधवार को लोकसभा में कश्मीर पर हुई चर्चा का जबाव देते हुए दिया था। सरकार की मंशा सबसे पहले हाल की हिंसा से पीड़ित जनता के जख्मों पर मरहम लगाना है। जब प्रक्रिया आगे बढ़ेगी तो पाकिस्तान के बारे में सोचा जा सकता है।
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साभारजागरण समाचार 
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